
पन्ना में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर शुक्रवार सुबह से पृथ्वी परिक्रमा में शामिल होने देश के कई राज्यों से हजारों श्रद्धालु आए हैं। पन्ना में यह प्रकृति प्रेम को दर्शाती अनूठी परंपरा करीब 400 साल से चल रही है। जिसे महामति श्री प्राणनाथ जी ने शुरू किया था। आज भी प्रणामी संप्रदाय के लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। यह प्रकृति के निकट रहने और विश्वकल्याण की सीख देती है।
दरअसल प्रणामी संप्रदाय के लोग पृथ्वी परिक्रमा पन्ना के चारों तरफ सुबह जंगल के रास्ते से गुजर कर पूरा करते है। इससे उनको सुखद अनुभूति और शांति मिलती है
पहाड़ियों को पार करते हुए मदार साहब, धरमसागर और अघोर होकर यह विशाल कारवां खेजड़ा मंदिर पहुंचता है। यात्रा में रंग-बिरंगे कपड़े पहने मुस्कुराते बच्चे, सुंदर परिधानों से सुसज्जित महिलायें, युवा,मयुवतियां और वृद्धजन अपने-अपने विशिष्ट अंदाज में दिखते हैं। खेजड़ा मंदिर पहुंचने पर वहां महाआरती और प्रसाद वितरण होता है।
प्राणनाथ जी मंदिर पन्ना के पुजारी देवकरण त्रिपाठी ने बताया कि पवित्र नगरी में आयोजित होने वाली परिक्रमा की दूरी करीब 20 किलोमीटर के आसपास होती है।