
मोह जिले के तेंदूखेड़ा वन परिक्षेत्र के सैलवाडा में तेंदुए की मौजूदगी ने ग्रामीणों को चिंता में डाल दिया है। मंगलवार को तेंदुए ने एक कुत्ते के पिल्ले को मुंह में दबाकर किसान के सामने से भाग लिया। इसके बाद वन विभाग ने मुनादी करवानी शुरू कर दी है। डर के कारण लोग अपने पालतू जानवरों को जंगल में भेजना बंद कर चुके हैं, जिससे तेंदुआ भूख के कारण शिकार की तलाश में घूम रहा है।
पिछले एक महीने से तेंदुआ सैलवाडा में डेरा डाले हुए है और प्रतिदिन सुबह और शाम लोगों के सामने आ रहा है। मंगलवार की शाम किसान भरत यादव अपने खेत में काम कर रहे थे, तभी तेंदुआ कुत्ते के पिल्ले को मुंह में दबाकर भाग गया। वन विभाग को सूचना देने के बाद बुधवार को अधिकारियों ने केवल औपचारिक कार्यवाही की, जबकि वहां से प्रतिदिन सैकड़ों लोगों का आना-जाना होता है, जिनमें बच्चे भी शामिल रहते हैं।
सैलवाडा और आसपास के गांवों में तेंदुआ भोजन की तलाश में घूम रहा है, क्योंकि जंगली क्षेत्र में छोटे जानवरों की कमी है। वन विभाग ने एक महीने से तेंदुए को अनदेखा किया था, जबकि ग्रामीण लगातार इसकी सूचना दे रहे थे। तेंदुए के भय के कारण ग्रामीणों ने अपनी बकरियां और छोटे मवेशी जंगल में भेजना बंद कर दिया है। इससे तेंदुआ इधर-उधर घूमकर भोजन की तलाश कर रहा है।
तेंदुआ मांसाहारी जानवर है और उसका मुख्य भोजन खरगोश, मृग, गज़ेल और हिरण जैसे छोटे जानवर होते हैं। भोजन की कमी होने पर वह पक्षियों, सरीसृपों और कीड़ों को भी खा सकता है। तेंदुआ अपने शिकार को ज़मीन से कई मीटर ऊपर पेड़ की डाली पर ले जाता है।
तेंदुए के पदमार्ग मिलने के बाद तेंदूखेड़ा रेंजर सृष्टि जैन ने सैलवाडा सर्किल में पदस्थ वनकर्मियों को क्षेत्र में तेंदुए की मौजूदगी की मुनादी कराई। महगवा वीट, शिलपुरा और आसपास के गांवों के साथ-साथ मुख्य मार्गों से गुजरने वाले राहगीरों को तेंदुए के बारे में जानकारी दी गई और सुरक्षित रहने की सलाह दी गई। डीएफओ ईश्वर जरांडे ने बताया कि जिस क्षेत्र में तेंदुआ है, वहां वनकर्मियों की ड्यूटी लगाने के निर्देश रेंजर को दिए गए हैं।