
मंडला जिले के कान्हा टाइगर रिजर्व का एक बाघ 400 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में देखा गया है। इस खबर से बाघों के आवास को जोड़ने वाले कॉरिडोर की जीवंतता प्रकट होती है। ऐसे कॉरिडोर बाघ सहित अन्य वन्यप्राणियों के स्वच्छंद विचरण के साथ संरक्षण में सहायक होंगे।
कान्हा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पुनीत गोयल ने बताया कि अचानकमार टाइगर रिजर्व में लगाए गए कैमरों में एक नया बाघ स्पॉट हुआ। जिसके बाद उन्होंने एनटीसीए में बाघ की आईडी जनरेट करने की कार्रवाई की। जहां इसकी पहचान कान्हा के बाघ टी 200 के तौर पर हुई। यह बाघ कान्हा के कैमरों में जनवरी-फरवरी में ट्रेप हुआ था और उसके बाद इसकी आईडी जनरेट हुई।
उन्होंने बताया कि टी 200 बाघ के अब अचानकमार में देखे जाने से ये लगता है कि डिंडोरी, मंडला के वन क्षेत्र को सम्मिलित कर जो टाइगर कॉरिडोर चिन्हित किया गया है, वन्य प्राणी उसका उपयोग कर रहे हैं। इसे सुरक्षित रखा जाना चाहिए जिससे आगे भी ये मूवमेंट बना रहे।
डिप्टी डायरेक्टर पुनीत गोयल ने इन कॉरिडोर की उपयोगिता के सवाल पर कहा कि कॉरिडोर से जब कोई प्रजाति एक से दूसरे क्षेत्र में जाती है तो जीन फ्लो होता है। इस जीन डाइवर्सिटी से जेनेटिक में फायदा होगा। जलवायु परिवर्तन या कोई बीमारी फैलती है तो जितनी जेनेटिक विविधता होगी प्रजाति के उतनी ही अधिक बचे रहने की संभावना रहेगी।
एक सीमित क्षेत्र में बाघों की बढ़ती आबादी से आपसी संघर्ष बढ़ता है साथ ही आबादी वाले क्षेत्र में भी बाघों का मूवमेंट होने लगता है। ऐसे में इस तरह के कॉरिडोर बाघ के विचरण और निर्बाध आवागमन के लिए आवश्यक है। इससे संरक्षण के साथ बाघ की आबादी बढ़ने में भी मदद मिलेगी।