
दमोह जिले के थानों में लगे डायल 100 वाहनों की हालत खराब है। किसी गाड़ी में हेडलाइट नहीं है तो किसी के टायर पूरी तरह घिस चुके हैं। इन वाहनों का बीमा भी खत्म हो चुका है। ऐसे में पुलिस समय पर कैसे पहुंचेगी यह सबसे बड़ा सवाल है।
दमोह जिले के विभिन्न थानों में तैनात डायल 100 वाहनों की हालत बेहद खराब हो चुकी है। जिले में करीब 20 वाहन लगाए गए हैं, जिनमें से अधिकांश वाहन कंडम हो गए हैं। किसी वाहन की हेडलाइट नहीं है तो किसी के टायर पूरी तरह घिस चुके हैं। आम जनता की मदद के लिए तैनात ये वाहन अब खुद मदद के मोहताज हैं। चिंताजनक बात यह है कि इन वाहनों का बीमा भी खत्म हो चुका है। यदि कोई दुर्घटना होती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, यह भी बड़ा सवाल है। इस स्थिति में आम लोगों को तत्काल पुलिस सहायता मिलना भी सुनिश्चित नहीं है।
पुलिस विभाग के अधिकारी कर रहे अनदेखी
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2015 में प्रदेश के सभी थानों में डायल 100 वाहन सेवा की शुरुआत की थी। इसके तहत लग्जरी वाहन उपलब्ध कराए गए थे, जो शिकायत मिलते ही मौके पर मदद के लिए पहुंचते थे। शुरुआत में यह योजना सफल रही और इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए। लेकिन, अब इन वाहनों की दयनीय हालत को लेकर पुलिस विभाग के अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं।
डायल 100 वाहन पूरी कंडम
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा अनुविभाग में तैनात डायल 100 वाहन पूरी तरह कंडम हो चुके हैं। इन वाहनों को चलाने वाले चालक और ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी हमेशा भय के साये में रहते हैं।
टायर पूरी तरह घिस चुके हैं।हेडलाइट और सायरन बंद हो चुके हैं।कई वाहनों के दरवाजे खुलते ही नहीं हैं।बैटरी खराब होने के कारण गाड़ियों को धक्का देकर स्टार्ट करना पड़ता है।यह वाहन दिन-रात सेवा में लगे रहते हैं, इसके बावजूद मरम्मत के लिए अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
वाहनों का बीमा भी नहीं
डायल 100 वाहनों का संचालन प्राइवेट कंपनियों द्वारा किया जाता है और इनका भुगतान पुलिस विभाग के माध्यम से किया जाता है। लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकांश वाहनों का बीमा कई वर्षों से नहीं हुआ है। यहां तक कि कई पायलट भी इस बात को स्वीकार चुके हैं।
दुर्घटना का डर रहता है
पायलट और ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने बताया कि कई वाहन एक लाइट के सहारे चल रहे हैं और उस लाइट को टेप से संभालकर रखा गया है। वाहनों के हूटर बंद हैं और कंडम टायरों के बावजूद इन्हें सेवा में इस्तेमाल किया जा रहा है। पुलिसकर्मियों का कहना है कि वाहन चलाते समय हमेशा दुर्घटना का डर बना रहता है, क्योंकि बीमा न होने के कारण किसी भी हादसे की जिम्मेदारी तय नहीं है।
क्या बोले अधिकारी?
डायल 100 वाहन के मेंटेनेंस प्रभारी नकुल सोनी ने बताया कि जिले के 20 डायल 100 वाहनों में से 5 पूरी तरह कंडम हो चुके हैं। उनके स्थान पर बोलेरो गाड़ियां तैनात की गई हैं। बीमा से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी वाहन उपलब्ध कराने वाली कंपनी की है।
वहीं, जिला परिवहन अधिकारी क्षितिज सोनी ने कहा कि गाड़ियों का बीमा न होना गंभीर लापरवाही है। उन्होंने एक गाड़ी के बीमा की जानकारी जांची, जिसमें पाया गया कि 2020 के बाद बीमा नवीनीकरण नहीं किया गया।

