
इंदौर में रहने वाली 59 साल की महिला के साथ 1 करोड़ 60 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी के मामले में क्राइम ब्रांच ने चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी स्टूडेंट्स हैं, जिन्होंने पैसों के लालच में अपने बैंक खाते ठगों को दिए थे।
मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर महिला से ठगी
क्राइम ब्रांच द्वारा संचालित NCRP पोर्टल पर इंदौर की 59 वर्षीय महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि 2 दिसंबर को अज्ञात बदमाशों की एक गैंग ने स्काइप और व्हाट्सऐप वीडियो कॉल के जरिए खुद को CBI, RBI और पुलिस का अधिकारी बताते हुए मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाकर जेल भेजने की धमकी दी।
इसी बहाने से उन्होंने महिला की बैंकिंग डिटेल्स लेकर बैंक अकाउंट, FD और शेयर जैसे निवेशों की जांच करने के नाम पर ऑनलाइन 1.60 करोड़ रुपये ठग लिए।
मामले में क्राइम ब्रांच ने केस दर्ज कर अब तक 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हाल ही में गिरफ्तार हुए चार आरोपी हैं – रोहन शाक्य (सिहोर), आयुष राठौर (सिहोर), निलेश गोरेले (भोपाल) और अभिषेक त्रिपाठी (भोपाल)। इनमें दो बीबीए और एक बीटेक का छात्र है।
पकड़े गए आरोपी अंतरराज्यीय गैंग के सदस्य
पूछताछ में पता चला कि सिहोर का रहने वाला रोहन शाक्य फर्नीचर का काम करता है, उसने अपना बैंक खाता बदमाशों को कमीशन पर दिया था। उसके खाते का उपयोग ठगी के लिए किया गया। रोहन ने यह खाता आयुष राठौर को दिया, जिसने इसे निलेश गोरेले को सौंपा। निलेश ने यह खाता अभिषेक त्रिपाठी को दिया। इसके बाद खाते की कड़ी अन्य राज्यों तक बढ़ाई गई।
आरोपियों ने बताया कि वे अंतरराज्यीय गैंग के सदस्य हैं, जो डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन ठगी के लिए बैंक खातों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं। ठगे गए पैसे इन खातों में भेजे जाते हैं, जिनका इस्तेमाल बदमाश आगे ठगी को अंजाम देने में करते हैं। आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है।
5 लाख रुपए सिहोर के खाते में गए
क्राइम ब्रांच डीसीपी राजेश त्रिपाठी के मुताबिक, महिला से ठगे गए 1.60 करोड़ में से 5 लाख रुपये सिहोर के एक बैंक खाते में गए। जांच में पाया गया कि यह खाता रोहन शाक्य का है। पूछताछ के दौरान उसने आयुष राठौर का नाम लिया। आयुष से पूछताछ में निलेश गोरेले का नाम सामने आया। इसके बाद निलेश ने अभिषेक त्रिपाठी का नाम बताया।
आरोपियों के खातों की जांच की जा रही है। एक खाते में 15 लाख रुपये जमा हुए थे, जिनमें से 10 लाख रुपये निकाले जा चुके हैं। बाकी राशि को फ्रीज कर दिया गया है।
डीसीपी ने बताया कि यह ठगी तीन कड़ियों में होती है
- खाता धारक: जिसके खाते में पैसा जमा होता है।
- खाता संग्रहकर्ता टीम: जो बैंक खाते ठगों को मुहैया कराती है।
- डराने-धमकाने वाली टीम: जो फोन कॉल करके लोगों को फंसाती है।
इस मामले में दो कड़ियां उजागर हो चुकी है। इसमें ये बात सामने आई है कि जिसका अकाउंट लिया जाता है, उसे ये जानकारी नहीं होती है कि उसके खाते में कितना पैसा आया है। उसे कमीशन का चार्ज दे दिया जाता है। खाते का एक्सेस भी मुख्य कंट्रोलर के पास होता है।
इससे पहले 7 आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा था
इस मामले में क्राइम ब्रांच 7 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें प्रतीक जरीवाला, अभिषेक जरीवाला, चंद्रभान बंसल, राकेश कुमार बंसल, विवेक रंजन उर्फ पिंटू गिरी, अल्ताफ कुरैशी, अभिषेक चक्रवर्ती (कूच बिहार निवासी) शामिल हैं।
