
इंदौर में लगातार चौथे दिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई चल रही है। कांग्रेस नेता गोलू अग्निहोत्री के यहां बुधवार दोपहर तक कार्रवाई के बाद गुरुवार सुबह दिल्ली के ईडी अधिकारियों की टीम ने कारोबारी और रुचि सोया के पूर्व मालिक उमेश शाहरा के यहां छापामार कार्रवाई की।
ईडी की 10 से ज्यादा अधिकारियों की टीम सुबह 6 से 7 बजे के बीच शाहरा के घर पहुंची। उमेश शाहरा पर 2021 में 58 करोड़ रुपए के लोन घोटाले को लेकर एफआईआर हुई थी। इसी के आधार पर यह कार्रवाई की जा रही है।
शाहरा परिवार अभी कंस्ट्रक्शन और प्रॉपर्टी का काम कर रहा है। बता दें कि ईडी की टीम सोमवार से इंदौर में अलग-अलग ठिकानों पर सर्चिंग कर रही है।
शादी की तैयारियों के बीच ईडी की सर्चिंग
दिल्ली ईडी की टीम ने इंदौर के कांग्रेस नेता गोलू अग्निहोत्री और उनके करीबियों के यहां पर सोमवार से कार्रवाई शुरू की थी। जिसके बाद गुरुवार को ईडी ने उमेश शाहरा के यहां पर सर्चिंग की है। बताया जा रहा है कि शाहरा के परिवार में शादी है। जिसके कार्यक्रम 21 दिसंबर से होंगे। परिवार शादी की तैयारियों में लगा हुआ है। इसी बीच टीम ने सर्चिंग शुरू की है।
रुचि सोया के कैलाश शाहरा के खिलाफ केस
ईओडब्ल्यू ने रुचि सोया इंडस्ट्रीज के मालिक कैलाश शाहरा, एक अन्य डायरेक्टर, वाणिज्यिक कर के तत्कालीन सहायक आयुक्त और महाराष्ट्र के चार दलालों के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने का केस दर्ज किया है।
आरोपियों ने फर्जी सी फॉर्म तैयार कर उनके जरिए शासन को करीब 1 करोड़ के राजस्व का नुकसान पहुंचाया। मामले की जांच की भनक लगी तो ताबड़तोड़ 41 लाख रुपए जमा करवा दिए। जिन कंपनियों के नाम से सी फॉर्म जारी किए गए थे, वे भी अपने पते पर नहीं पाई गईं।
एसपी मनोज सिंह ने बताया कि मामले में 2003-04 में प्राथमिक जांच की गई थी। अब यह प्रकरण दर्ज किया गया है। जांच अधिकारी डीएसपी आनंद यादव ने बताया कि जांच के बाद 7 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, षड्यंत्र और अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
इन 7 लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ है मामला
- कैलाश शाहरा पिता स्व. महादेव शाहरा, चेयरमैन रुचि सोया
- श्रीकृष्ण प्रहलाद जोशी, डायरेक्टर रुचि सोया
- एसएन मरावी, तत्कालीन सहायक आयुक्त (वाणिज्यिक कर)
- भद्रेश मसरानी, ब्रोकर
- मूलचंद नानकानी, ब्रोकर
- भरत भाई शाह, ब्रोकर
- विमल सोगानी, ब्रोकर
ये है पूरा मामला जिसको लेकर कार्रवाई हो रही
रुचि सोया इंडस्ट्रीज ने बीके कॉर्पोरेशन कल्याण-मुंबई, इकबाल ट्रेडर्स, जलाराम ट्रेडर्स, रामेश्वर श्रीकिशन ट्रेडर्स, ऋषभ ट्रेडर्स से सी फॉर्म लिए थे। जिनके आधार पर 12 करोड़ 45 लाख का माल इन्हें बेचना बताया। बदले में करीब 1 करोड़ की छूट पा ली।
जब शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की तो रुचि सोया इंडस्ट्री की तरफ से फर्जी सी फॉर्म की शिकायत लसूड़िया थाने में दर्ज कराई गई। अपने बचाव में वाणिज्यिक कर विभाग में करीब 41 लाख 17 हजार 131 रुपए जमा भी करवा दिए गए। फिर भी 58 लाख 47 हजार 426 रुपए जमा नहीं कराए।
जिनके नाम से सी फॉर्म, वे कंपनी निकलीं फर्जी
डीएसपी आनंद यादव ने बताया कि भद्रेश मसरानी ने दलालों भरत भाई शाह, विमल सोगानी, मूलचंद नानकानी के साथ मिलकर यह फर्जी सी फॉर्म निकाले। जब फर्म के पतों पर जांच के लिए टीम पहुंची तो फर्म वहां थी ही नहीं। इसके अलावा जिस ऋषभ ट्रेडिंग कंपनी के नाम से सी फॉर्म जारी किए थे, उस कंपनी का तो रजिस्ट्रेशन ही नहीं था।
विलफुल डिफॉल्टर की लिस्ट में रुचि सोया का नाम
2019 में रिजर्व बैंक की ओर से जारी की गई विलफुल डिफॉल्टर की लिस्ट में इंदौर के कारोबारी कैलाश शाहरा की रुचि सोया और मुरैना के रमेशचंद्र गर्ग की केएस ऑयल का नाम शामिल है। आरबीआई की इस लिस्ट के अनुसार कैलाश शाहरा की रुचि सोया शराब कारोबारी और भगोड़े विजय माल्या से दो पायदान ऊपर है।
कैलाश शाहरा के कर्ज न चुका पाने की राशि 3 हजार 2 सौ 25 करोड़ रुपए है। जबकि माल्या का कुल बकाया 2 हजार 4 सौ 88 करोड़ रुपए है। कर्ज देने वाले रुचि सोया कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ले गए हैं। जहां दिवाला कानून के तहत कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। वहीं, मुरैना के रमेशचंद्र गर्ग की केएस ऑयल मिल पर कुल डिफॉल्ट किए गए कर्ज की राशि 1 हजार 26 करोड़ रुपए है।
सहयोगियों पर 188.35 करोड़के बैंक घोटाले का केस
CBI ने 4 साल पहले उमेश शाहरा सहित उनके सहयोगियों पर 188.35 करोड़ रुपए के बैंक घोटाले में केस दर्ज किया था। सीबीआई चार साल पहले इस मामले में शाहरा के घर पर जांच भी कर चुकी है। तब रुचि ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड में CBI ने छापेमारी कर उमेश के अलावा उनके सहयोगी साकेत बरोदिया और आशुतोष मिश्रा के ठिकानों पर भी जांच की थी।
CBI की एफआईआर में रुचि ग्लोबल लिमिटेड के अलावा, उमेश शाहरा, साकेत बरोदिया और आशुतोष मिश्रा का नाम आरोपी के रूप में दर्ज है।
उमेश शाहरा अलग-अलग मामलों में विवाद में रहे
उद्योगपति उमेश शाहरा अलग-अलग मामलों में पहले भी विवादों में रहे हैं। दो साल पहले कोल आवंटन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने रुचि ग्रुप और रेवती सीमेंट के निदेशक उमेश शाहरा की 22 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अटैच की थी। ईडी ने पीएमएलए एक्ट-2002 के तहत कंपनी के डायरेक्टर उमेश शाहरा सहित अन्य पर केस दर्ज किया था।
वहीं, भूमाफिया दीपक मद्दा के यहां जमीन घोटाले में पड़े छापे में ईडी ने मनीष शाहरा (उमेश शाहरा के भाई) के यहां भी पूछताछ की थी। एक सोसाइटी की जमीन की खरीदी-बिक्री का मामला मनीष शाहरा से जुड़ा हुआ है। इस तरह शाहरा परिवार ईडी की कई जांचों में उलझा हुआ है।
2019 में पतंजलि ने खरीद ली थी रुचि सोया कंपनी
दिवालिया हो चुकी रुचि सोया को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने दिसंबर 2019 में 4350 करोड़ रुपए में खरीद लिया था। कंपनी साल 2012 में डेलॉय की ‘ग्लोबल पॉवर्स ऑफ कंज्यूमर प्रोडक्ट इंडस्ट्री 2012’ रिपोर्ट में रुचि सोया शीर्ष 250 कंज्यूमर प्रोडक्ट कंपनियों में 175वें स्थान पर थी।
2010 में कंपनी के एक शेयर की कीमत 13000 रुपए से ज्यादा पहुंच गई थी। फिर कंपनी अपने ट्रैक से ऐसे फिसली कि कर्ज के जाल में उलझती चली गई। कंपनी पर कुल 9345 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया और दिवालिया हो गई। दिसंबर 2017 में एनसीएलटी ने इन-सॉल्वेंसी प्रक्रिया के तहत रुचि सोया की नीलामी का आदेश दिया था।
पतंजलि ने जबसे कंपनी को खरीदा, तबसे रुचि सोया की किस्मत बदल गई है। दिवालिया होने की वजह से कंपनी शेयर बाजार से डिलिस्टेड हो गई थी। फिर से 27 जनवरी को रिलिस्ट हुई। वर्तमान में कपंनी का मार्केट कैप बीएसई में 42,469 करोड़ रुपए पार कर गया है। पतंजलि के पास रुचि सोया की 98.87% हिस्सेदारी है।