
“मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा और देश का पहला केवल-स्टे ब्रिज जो रेलवे स्टेशन के ऊपर बन रहा है, वह लगभग तैयार हो चुका है। आज इस केबल-स्टे ब्रिज की स्टिचिंग (सिलाई) होनी थी। इस मौके पर लोक निर्माण विभाग के अधिकारी, ब्रिज बनाने वाली कंस्ट्रक्शन टीम और फ्रांस के इंजीनियर भी मौजूद रहे।
करीब 385 मीटर लंबे केबल-स्टे ब्रिज को आज दोनों तरफ से जोड़ने का काम किया जा रहा है। 96-96 मीटर के दोनों हिस्सों के बनने के बाद आज इस ब्रिज में स्टिचिंग का काम शुरू हुआ है, जो चार से पांच दिन में पूरा हो जाएगा। इसके बाद सिर्फ ब्रिज की फिनिशिंग बाकी रह जाएगी।
ऐसे में माना जा रहा है कि अधिकतम 40 से 50 दिनों के भीतर प्रदेश का सबसे बड़ा और लंबा फ्लाई ओवर ब्रिज आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
“करीब एक हजार करोड़ रुपए की लागत से 2019-20 में शुरू हुआ यह फ्लाई ओवर ब्रिज अधिकांशतः पूरा हो चुका है। करीब 7 किलोमीटर लंबे इस फ्लाई ओवर के बन जाने के बाद जबलपुर सहित आसपास के जिलों का यातायात सुगम हो जाएगा। इसका शिलान्यास 2019 में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने किया था। कोरोना काल में लगभग डेढ़ साल तक काम बंद रहने के बावजूद, यह निर्धारित समय सीमा में पूरा होने के कगार पर है। हालांकि, जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, छोटी लाइन से गढ़ा तक के लिए फ्लाई ओवर के एक हिस्से को पहले ही खोल दिया गया है।”
आज का दिन ऐतिहासिक
करीब 385 मीटर लंबा केबल-स्टे ब्रिज पूरी तरह से हवा में बना हुआ है। इस ब्रिज के निर्माण में भारी स्टील स्ट्रक्चर से पाइलोन (बेस फाउंडेशन) का उपयोग किया गया है। 385 मीटर लंबे इस केबल-स्टे ब्रिज में मुख्य स्पैन के साथ ही दशमेश द्वार छोर और मदन महल थाना की ओर साइड स्पैन भी बनाए जाएंगे। इसके साथ ही लिंक रोड के किनारे ओमती नाला के दोनों ओर पियर फाउंडेशन का निर्माण भी जारी है। रेलवे स्टेशन के समीप फ्लाई ओवर की एक रैम्प स्नेह नगर छोर पर और दूसरी रैम्प उत्सव हॉल की ओर उतरेगी। लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर एससी वर्मा, कार्यपालन यंत्री शिवेन्द्र सिंह सहित कई अधिकारी मौके पर मौजूद रहे।
चीफ इंजीनियर ने बुंदेलीबाण से बात करते हुए कहा कि यह केबल-स्टे ब्रिज भारत का सबसे बड़ा है, जिसकी लंबाई करीब 385 मीटर है। उन्होंने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि आज दोनों ही तरफ से हवा में लाए गए ब्रिज के हिस्सों को जोड़ने का काम किया जा रहा है, जिसकी लंबाई 1.5 मीटर है। सीई एससी वर्मा ने बताया कि दोनों ही तरफ से 96-96 मीटर के ब्रिज को एक साथ लाया जा रहा था, जिसे आज से जोड़ने का काम शुरू किया गया है।
हैदराबाद में बिगड़ चुका था केबल-स्टे ब्रिज
चीफ इंजीनियर ने बताया कि किसी भी केबल-स्टे ब्रिज को बनाकर एक साथ जोड़ना सबसे कठिन काम होता है, क्योंकि यदि ब्रिज को जोड़ते समय एलाइमेंट बिगड़ जाए तो फिर उसे ठीक करना बहुत ही कठिन हो जाता है। उन्होंने बताया कि इससे पहले जब हैदराबाद में इसी तरह के केबल-स्टे ब्रिज का काम चल रहा था, तो उस दौरान दोनों हिस्सों को जोड़ने में परेशानी आई थी। दोनों तरफ से ब्रिज के हिस्सों को जोड़ते समय करीब 15 सेंटी मीटर का डिफरेंस आ गया था, जिसके कारण एक साल तक काम बंद रहा। यही वजह थी कि जब इस स्टेज में जबलपुर के केबल-स्टे ब्रिज का काम पहुंचा तो चिंता होने लगी, लेकिन अब सब कुछ ठीक ढंग से चल रहा है।
जल्द शुरू हो जाएगा फ्लाई ओवर ब्रिज
चीफ इंजीनियर एससी वर्मा ने बताया कि जबलपुर सहित आसपास के जिले वासियों को जिस दिन का बेसब्री से इंतजार है, उसके लिए बस 50 से 60 दिन का समय और लगेगा, और फिर आमजन इस फ्लाई ओवर ब्रिज का उपयोग कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि केबल-स्टे ब्रिज तैयार हो जाने के बाद अब सिर्फ फिनिशिंग का काम बाकी है, जो सबसे महत्वपूर्ण था। सीई ने बताया कि यह केबल-स्टे ब्रिज केवल चार पिलर पर खड़ा हुआ है।
केबल-स्टे ब्रिज के कंसल्टेंसी और टीम लीडर सीएच श्रीनिवास राव ने बताया कि आज का दिन मध्यप्रदेश ही नहीं, पूरे देश के लिए गौरव का है, क्योंकि यह देश का पहला फ्लाईओवर ब्रिज है जो रेलवे स्टेशन के ऊपर तैयार हुआ है। उन्होंने बताया कि देश में इस तरह के केवल छह या सात केबल-स्टे ब्रिज बने हुए हैं।
राव ने बताया कि उन्होंने दुबई में भी केबल-स्टे ब्रिज के लिए काम किया है, लेकिन वहां पर भी लेवल मिलाने में परेशानी हुई थी। हालांकि, यह अच्छी बात है कि जबलपुर में लेवल मिलाने में कोई परेशानी नहीं आई है।
फ्लाईओवर की लंबाई आइएसबीटी और अधारताल छोर पर बढ़ने से प्रोजेक्ट में तीन अतिरिक्त निर्माण होंगे। इनमें दमोह नाका छोर पर एक रैम्प, चौराहे पर एक रोटरी और आइएसबीटी छोर पर एक सहायक रैम्प शामिल है। शहर के मुख्य मार्गों को फ्लाईओवर से जोड़ने के लिए दो मुख्य रैम्प सहित कुल आठ रैम्प का निर्माण किया जा रहा है। इनमें दमोह नाका और मदन महल छोर के मुख्य रैम्प और यातायात थाना मार्ग, गढ़ा मार्ग, लिंक रोड, महानड्डा छोर, आइएसबीटी, अधारताल छोर के रैम्प शामिल हैं।”
आधे घंटे का सफर 10 मिनट में
दमोह नाका से मदन महल तक पहुंचने में वर्तमान में आधे से पौने घंटे का समय लगता है। फ्लाई ओवर ब्रिज बनने के बाद यह सफर महज 10 मिनट में तय हो सकेगा। लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर ने बताया कि जबलपुर के विकास के लिए यह फ्लाई ओवर ब्रिज मील का पत्थर साबित होगा। शहर में प्रवेश करते समय जो जाम की स्थिति बनती है, फ्लाई ओवर ब्रिज के बन जाने के बाद वह पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।