
मध्यप्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व का वातावरण प्रवासी पक्षियों को पसंद आ रहा है। सर्दी के सीजन में यहां बड़ी संख्या में देसी और विदेशी पक्षियों ने अपना डेरा जमा लिया है। टाइगर रिजर्व के अफसरों का कहना है कि वर्तमान में यहां पर सात प्रजाति के गिद्ध पहुंच चुके हैं। जिसमें से चार प्रजाति स्थायी निवासी हैं। शेष तीन प्रजाति के गिद्ध सर्दी के मौसम में टाइगर रिजर्व में नजर आते हैं। यहां पर हिमालय के आसपास के अलावा अफगानिस्तान, भूटान और तिब्बत से गिद्ध आते हैं।
हिमालयन ग्रिफन कई सालों से यहां में सर्दियां बिताने पहुंच रहे हैं। इसके अलावा यूरोप और एशिया के दूसरे देशों से भी यूरेशियन प्रजाति के गिद्ध आते हैं। यह तीन से चार हजार किमी तक की दूरी तय कर टाइगर रिजर्व पहुंच रहे हैं। इस बार भी ठंड के मौसम में इन प्रवासी पक्षियों का नौरादेही पहुंचना शुरू हो गया है। ये टाइगर रिजर्व के तालाब और नदियों के कुंड के आसपास आसानी से देखे जा सकते हैं।
इसलिए प्रवासी पक्षियों को भाया टाइगर रिजर्व
प्रवासी पक्षियों को टाइगर रिजर्व की आवोहवा, विशाल जंगल और यहां के प्राकृतिक जल स्त्रोत काफी पसंद आते हैं। इसी कारण यहां पर भारत के आसपास के देशों के अलावा एशिया और यूरोप के दूसरे देशों से काफी संख्या में प्रवासी पक्षी सर्दियों के मौसम में पहुंचते हैं। जानकार बताते हैं कि टाइगर रिजर्व के तीन तालाब और दोनों नदियों के आसपास प्रवासी पक्षियों का ठिकाना होता है। जिनमें जगरासी खेड़ा, छेवला और जगतराई तालाब है।
वहीं यहां बहने वाली ब्यारमा और बामनेर नदी के कुंड या तालाबनुमा संरचनाओं के आसपास इनको आसानी से देखा जा सकता है। आवोहवा पसंद आने के कारण यहां सात तरह के गिद्धों के साथ हरियाणा में पाई जाने वाली वुली नेक्ड स्टार्क के अलावा पेंटेड स्टार्क (सारस) भी देखे जा सकते हैं। इसके अलावा ब्लैक स्टार्क तो प्रजनन के लिहाज से पहुंचते हैं और तालाब और नदी किनारे के पेड़ों को अपना ठिकाना बनाते हैं।
हिमालयन और यूरेशियन गिद्धों की सात प्रजातियां मौजूद
टाइगर रिजर्व में पहुंचने वाले प्रवासी पक्षियों में भारतीय और विदेशी गिद्ध यहां काफी संख्या में देखे जा सकते हैं। यहां सात प्रकार के गिद्धों की प्रजातियां पहुंच चुकी हैं। जिनमें 4 तो यहां की स्थाई निवासी हैं। लेकिन तीन प्रजातियां सिर्फ सर्दी के मौसम में नजर आती हैं। यहां पर हिमालय के आसपास के अलावा अफगानिस्तान, भूटान, तुर्केमिस्तान और तिब्बत से गिद्ध आते हैं। इनका प्रमुख ठिकाना हिमालय में 1200 से 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर होता है।
हिमालयन ग्रिफॉन कई सालों से नौरादेही में सर्दियां बिताने पहुंच रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ यूरोप और एशिया के दूसरे देशों से यूरेशियन प्रजाति के गिद्ध आते हैं। इनको तो नौरादेही का मौसम ऐसा भाया है कि यहां सर्दियां बिताने के लिए ये 3 से 4 हजार किलोमीटर तक का सफर तय करते हैं। खास बात ये है कि यूरेशियन प्रजाति के गिद्ध यहां सिर्फ सर्दियां बिताने आते हैं। जबकि दूसरे गिद्ध यहां प्रजनन के लिहाज से भी पहुंचते हैं।
प्रवासी पक्षियों का टाइगर रिजर्व आने पर दौर शुरू
नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी ने बताया कि टाइगर रिजर्व में तीन बड़े तालाब हैं। जिनमें हर साल प्रवासी पक्षी आते हैं। जगरासी खेड़ा तालाब, छेवला तालाब और जगतराई तालाब है। इसके अलावा नदियों में जो कुंड या तालाबनुमा संरचना है, उनके आसपास भी प्रवासी पक्षी आते हैं। इनका आगमन यहां शुरू हो गया है। ऐसे में प्रबंधन ये देखता हैं कि प्रवासी पक्षी बढ़ रहे हैं या फिर घट रहे हैं। वर्तमान में यहां पर हिमालयन ग्रिफॉन है, ये हिमालय के एरिया से आते हैं। टाइगर रिजर्व में यूरोप के देशों से 3 से 4 हजार किमी की दूरी तय करके प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं।
