
2 दिन पहले जबलपुर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ(EOW) ने जांच के दौरान खुलासा किया कि जबलपुर और मंडला के ठेकेदारों ने फर्जी बिल लगाकर 37 करोड़ रुपए शासन से हड़प लिए। प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि डामर घोटाला करने वाले ठेकेदार ने नकली नोट की तर्ज पर नकली बिल भुगतान के लिए लगाए थे। जो की हू ब हू असली नजर आ रहे थे।
जबलपुर EOW की टीम अब इस बात का पता लग रही है कि ठेकेदारों ने असली बिल जैसे दिखने वाले नकली बिल कहां से बनवाए थे। जांच में यह बात भी आई है कि अधिकारियों की साठगांठ से ही इतना बड़ा घोटाला हुआ है। लिहाजा इस मामले में अब मध्य प्रदेश सड़क विकास प्राधिकरण के जबलपुर व मंडला के जीएम को भी पत्र लिखकर पूरे मामले से जुड़े मूल दस्तावेज मांगे गए हैं।
जबलपुर मंडला जिले के पांच ठेकेदारों ने सड़क विकास प्राधिकरण के माध्यम से 2015 से 2018 के बीच कई सड़कों का निर्माण कार्य किया। इसमें ठेकेदारों द्वारा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन, भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन, इस्सर और नायरा कंपनी के डामर के करीब 105 फर्जी बिल लगाकर 37 करोड रुपए शासन से वसूल लिए।