
सागर में गुरुवार को प्राइवेट स्कूल बंद रहे। स्कूलों संचालकों ने निशुल्क बाल शिक्षा अधिनियम में हुए संशोधन का विरोध करते हुए बस स्टैंड के पास स्थित पंडित दीनदयाल चौक पर धरना दिया। उन्होंने महात्मा गांधी की तस्वीर पर माल्यार्पण किया और चौक पर धरने पर बैठे। सांकेतिक धरना देते हुए उन्होंने सरकार से नियमों में बदलाव करने की मांग की है।
दरअसल, नि:शुल्क बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 में संशोधन करते हुए सरकार ने नर्सरी से 8वीं तक के स्कूलों में रजिस्टर्ड किरायानामा अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ सुरक्षा निधि और मान्यता शुल्क निर्धारित की है। नियमों में हुए बदलाव का निजी स्कूल संचालक विरोध कर रहे हैं।
प्रदेश सेवा संगठन के अध्यक्ष धमेंद्र शर्मा ने कहा कि सरकार के नियमों के विरोध में निजी स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया था। जिसको लेकर आज जिले के सभी निजी स्कूल बंद है। इस साल सरकार ने स्कूल भवनों के लिए पंजीकृत लीज एग्रीमेंट की मांग की है, लेकिन कई स्कूल खासकर ग्रामीण इलाकों में ऐसे एग्रीमेंट के बिना किराए के भवनों में संचालित होते हैं। यह स्कूल इस आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि भवन स्वयं पंजीकृत नहीं है। यदि सरकार ने इन नियमों में बदलाव नहीं किया तो ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल बंद करना पड़ेंगे। जिससे बच्चों का भविष्य और शिक्षा प्रभावित होगी। उन्होंने सरकार से नियमों में बदलाव करने की मांग की है।
संभाग के कई स्कूलों की मान्यता निरस्त की गई
उन्होंने कहा कि सरकार ने नि:शुल्क बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 में संशोधन करते हुए राज्य में संचालित नर्सरी से 8वीं तक शिक्षा दे रहे विद्यालयों को रजिस्टर्ड किरायानामा 30,000 से 40,000 की सुरक्षा निधि और 12,000 से 15,000 का शुल्क निर्धारण किया है। इन नियमों से निजी स्कूलों में पढ़ रहे नि:शुल्क बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के विद्यार्थियों के लिए समस्या पैदा होगी। कई स्कूल बंद करना पड़ेंगे। सागर संभाग में कई स्कूलों की मान्यता को निरस्त कर दिया है। इन स्कूलों को अब मान्यता के लिए भोपाल में अपील करनी पड़ेगी।