
रीवा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विवादित पोस्टर को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को एक बार फिर छात्र संगठन एनएसयूआई (NSUI) कार्यकर्ता और पदाधिकारी RSS के खिलाफ पोस्टर लगाने शहर के कॉलेज चौराहे पहुंचे। मौके से ही पुलिस ने सभी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान पुलिस और एनएसयूआई कार्यकर्ताओं में धक्का मुक्की भी देखने को मिली।
विवाद यहीं नहीं थमा, छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में युवा कांग्रेस के पदाधिकारी कंट्रोल रूम के सामने धरने पर बैठ गए। एक बार फिर पुलिस और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच तनाव की स्थिति देखने को मिली। बता दें कि RSS के खिलाफ पोस्टर लगाने का यह सिलसिला रीवा में रविवार शाम से शुरू हुआ है, जो लगातार जारी है।
RSS को बताया संविधान विरोधी
जानकारी के अनुसार, रीवा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के खिलाफ चौक-चौराहों पर पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टर्स को राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) की ओर से लगाया गया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता विनोद शर्मा ने कहा कि इस अभियान को पार्टी का खुला समर्थन है।
शहर के प्रमुख चौराहों पर लगाए गए इन पोस्टरों में आरएसएस को संविधान विरोधी संगठन बताया गया है। इसके अलावा, कुछ पोस्टरों में महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े नारे भी लिखे गए हैं और संघ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता विनोद शर्मा ने एनएसयूआई के इस कदम का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से आरएसएस के विरोध में रही है और इसे एक विवादास्पद संगठन मानती है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में एक समय आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया था।
भाजपा जिलाध्यक्ष बोले- यह ओछी मानसिकता
वहीं, भाजपा ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। भाजपा जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आरएसएस हमेशा बाढ़, भूकंप और अन्य आपदाओं में सेवा कार्यों में अग्रणी रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह पोस्टर ओछी मानसिकता के तहत लगाए गए हैं, जिससे गलत संदेश फैलाया जा रहा है और लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने कोई कठोर कदम नहीं उठाया तो भाजपा को आगे की रणनीति पर विचार करना पड़ेगा।