
दमोह जिले के तारादेही के जंगल में अपनी बेटी का गला दबाकर मारने का प्रयास करने वाली महिला की पहचान दमोह के जबलपुर नाका क्षेत्र में रहने वाली महिला के रूप में हुई है। उसकी शादी 2015 में हुई थी।
महिला के तीन बच्चे हैं, जिनमें से दो अपनी नानी के पास रहते हैं। महिला अपनी 3 साल की मासूम के साथ ससुराल में थी। 19 फरवरी को वो अपनी बेटी के साथ लापता हो गई थी, जिसकी गुमशुदगी भी जबलपुर नाका चौकी में दर्ज है।
एक दिन पहले यानी रविवार सुबह यह महिला जंगल के रास्ते अपनी 3 साल की बेटी का गला दबा रही थी, तभी रास्ते से निकल रहे तारादेही क्षेत्र के रेंजर देवेंद्र गुर्जर ने बच्ची को महिला से छीनकर उसकी जान बचाई थी। बाद में उसे मासूम को पुलिस के हवाले कर दिया। इसके बाद पुलिस महिला को भी थाने ले गई थी। शाम को बाल कल्याण समिति के सदस्य तेंदूखेड़ा पहुंचे थे और मासूम बच्ची को लेकर दमोह आए और उसे स्टाफ सेंटर में रख दिया। महिला थाने में ही रही।
सोमवार सुबह महिला के पति और मां को समाचारों के माध्यम से जानकारी मिली कि उनकी बेटी दमोह में है। इसके बाद दोनों महिला बाल विकास कार्यालय पहुंचे। इसके बाद उन्हें बाल कल्याण समिति के ऑफिस ले जाया गया, जहां दोनों ने महिला से अपने संबंधों के दस्तावेज पेश किए।
पति ने बताया कि 19 फरवरी को मेरी पत्नी छोटी बेटी को लेकर घर से गायब हो गई थी। काफी खोजबीन की, लेकिन वह नहीं मिली थी।
तेंदूखेड़ा टीआई विजय अहिरवाल ने बताया कि वह महिला पुलिस थाने में है। उसने रेंजर पर हमला किया था, लेकिन किसी ने शिकायत नहीं की है, इसलिए परिजन उसे अपने साथ ले जा सकते है।