
श्री वैष्णव इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस (एसवीआईएमएस) में एक विशेष हार्टफुलनेस मेडिटेशन कार्यशाला का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य संस्थान के शिक्षकों और कर्मचारियों को ध्यान की विधियों से परिचित कराना था।
कार्यशाला में विशेषज्ञों की टीम ने भाग लिया। एस.डी. बंसल कॉलेज के पूर्व निदेशक डॉ. एन. के. दगड़ी, उजास एनर्जी लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक अनुराग मूंदड़ा शामिल थे। साथ ही मेडिकल प्रैक्टिशनर डॉ. नितिन शर्मा और डॉ. प्रीति शर्मा ने भी अपना योगदान दिया।
विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को ध्यान की तकनीकें सिखाईं। उन्होंने ध्यान के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। विशेषज्ञों ने बताया कि नियमित ध्यान से मानसिक शांति मिलती है। यह कार्यक्षमता बढ़ाता है और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। कार्यशाला का मुख्य लक्ष्य आत्म-शुद्धिकरण और प्रार्थना के महत्व को समझाना था।
ध्यान का महत्व समझाया
संस्थान के निदेशक डॉ. जॉर्ज थॉमस ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए ध्यान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि व्यस्त जीवनशैली में ध्यान अपनाने से व्यक्ति तनावमुक्त रहता है और उसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। उन्होंने इस कार्यशाला के आयोजन का उद्देश्य बताते हुए कहा कि ध्यान से हमें आत्मविश्लेषण और आत्मविकास का मार्ग मिलता है, जो हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों में सहायक होता है। कार्यशाला में 200 से अधिक शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया और ध्यान की विभिन्न विधियों को समझा। कार्यशाला के दौरान हार्टफुलनेस ट्रेनर विनोद साठे, रामेश्वर गुप्ता एवं राजेश जायसवाल विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस कार्यशाला में कंप्यूटर विज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ. क्षमा पैठणकर, प्रबंधन विभाग (यूजी) की प्रमुख डॉ. दीपा कटियाल, प्राध्यापकगण एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समन्वय एनएसएस अधिकारी, डॉ. जितेंद्र जैन द्वारा किया गया। मंच का संचालन डॉ. समता जैन ने किया। आभार राहुल बारोड़े ने माना।