
सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) में हुई बच्ची की मौत और पैर झुलसने के मामले में न्यायिक कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। संभागायुक्त द्वारा बनाई गई कमेटी ने बीएमसी प्रबंधन को पत्र भेजकर 12 बिंदुओं पर जवाब मांगा है। साथ ही सीसीटीवी फुटेज मांगे हैं। वहीं जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन को पत्र लिखकर कहा है कि बच्ची की मौत के मामले में डॉक्टरों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
दरअसल, 23 मार्च को सानौधा निवासी अरुण अहिरवार की डेढ़ माह की बेटी सौम्या अहिरवार की बीएमसी में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उसका एक पैर भी झुलस गया था। मामला सामने आते ही परिजन ने पैर झुलसने पर हंगामा किया था और विरोध जताया था।
जिसके साथ ही दूसरे दिन सानौधा तिगड्डा पर चक्काजाम कर मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। मामले को संज्ञान में लेकर संभाग आयुक्त डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत ने न्यायिक जांच कमेटी बनाई है। जिसमें अपर कलेक्टर रूपेश उपाध्याय, जेडी डॉ. ज्योति चौहान, प्रोफेसर अभय तिर्की को शामिल किया है।
जांच कमेटी ने इन बिंदुओं पर मांगें जवाब
बच्ची की मौत के मामले में न्यायिक जांच कमेटी ने बीएमसी प्रबंधन से घटनाक्रम को लेकर जवाब मांगा है। उन्होंने मरीज कब भर्ती हुआ, क्या बीमारी थी?, घटना कब हुई और घटना का दिनांक व समय क्या है?, मरीज को कहां, किस वार्ड में भर्ती किया गया, भर्ती रिकॉर्ड फाइल की प्रति?, वार्ड में ड्यूटी इंचार्ज डॉक्टर, ड्यूटी नर्स व वार्ड बॉय की जानकारी रोस्टर सहित?, घटना होने पर सीनियर डॉक्टर द्वारा मरीज को देखा गया या नहीं?, वार्मर चालू व बंद करने की जवाबदेही किसी थी?, बच्ची का पैर जला, इसकी जवाबदेही किसकी थी?, पीएम रिपोर्ट कब और क्या आई? समेत 12 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है।
बच्ची को बचाने की हमनें पूरी कोशिश की
मामले को लेकर जूनियर्स डॉक्टर एसोसिएशन ने मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा कि बाल्य एवं शिशु रोग विभाग बीएमसी में पदस्थ डॉक्टर्स को अनावश्यक प्रताड़ित किया जा रहा है। मृत बच्ची 21 मार्च की शाम भर्ती हुई थी। जांच में पाया गया कि बच्ची बेहद गंभीर है। सांस नहीं ले पा रही थी। उसका गाइड लाइंस के अनुसार इलाज किया गया।
स्टाफ ने पूरी कोशिश की। लेकिन बच्ची की जान नहीं बच पाई। अब घटनाक्रम के बाद से हम लोगों को अनावश्यक तौर पर परेशान किया जा रहा है। अनेक जांच कमेटी गठित की गई हैं जो अनेकों बार बयान लेकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करेंगी। सामाजिक व व्यवसायिक प्रतिष्ठा खराब हो रही है। उन्होंने कहा कि मामले में संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करें।