
मिशन अस्पताल में फर्जी कॉर्डियोलॉजिस्ट बनकर एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी के दौरान 7 मरीजों की मौत के मामले में आरोपी बने डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन जॉन केम की डिग्रियां संदिग्ध पाई गई हैं। सीएमएचओ डॉ. मुकेश जैन ने बताया कि जांच के दौरान 7 मौत होने की बात सामने आई थी।
जिनमें से तीन की मौत एंजियोप्लास्टी के दौरान होना पाया गया है। आरोपी के पास से एक एमबीबीएस, दो एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) और एक डीएम (कार्डियोलॉजी) की डिग्री जब्त की गई है। इनमें रजिस्ट्रेशन नहीं है और हस्ताक्षर फर्जी हैं। हैरानी की बात है कि आरोपी ने पांडिचेरी यूनिवर्सिटी की जिस डीएम कॉर्डियोलॉजिस्ट की डिग्री के आधार पर मिशन अस्पताल में नौकरी पाई और इलाज के दौरान 7 लोगों की मौत हुई, उस डिग्री पर उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के डुप्लीकेट हस्ताक्षर हैं।
इसी आधार पर वेरीफिकेशन कराने के बाद सीएमएचओ ने एफआईआर दर्ज कराई है। अब इस सच्चाई का पता लगाने के लिए एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने एक टीम आरोपी के निवास कानपुर और दूसरी टीम नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज दार्जिलिंग भेजी है।
इधर सोमवार को देररात प्रयागराज से पकड़कर दमोह लाए गए फर्जी डॉक्टर को पुलिस ने मंगलवार को दोपहर कोर्ट में पेश किया। जहां से पुलिस को आरोपी की पांच दिन की रिमांड मिली है। एडीपीओ सतीश कपस्या ने बताया कि आरोपी की डिग्रियां फर्जी हैं और 7 लोगों की मौत का मामला है। इसलिए इसकी सुनवाई अभी आगे भी चलेगी। 13 मार्च को आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
एक डिग्री पर पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के भी फर्जी साइन
रात डेढ़ बजे एसपी सोमवंशी ने नए कंट्रोल रूम पहुंचकर आरोपी से पूछताछ की। इस बीच पुलिस को कई सुराग हाथ लगे। आरोपी ने कूटरचित दस्तावेज नागपुर में किसी एक्सपर्ट से तैयार कराए। पूछताछ में यह भी पता चला है कि आरोपी के पिता यादव थे और मां क्रिश्चियन समुदाय से थीं। नरेंद्र यादव के नाम से एन और मां के नाम से जॉन केम लिया।
इस तरह से उसने अपना नाम एन जॉन केम या नरेंद्र जॉन केम रख लिया, जबकि एलएन जॉन केम यूके के इंटरनेशनल कॉर्डियोलॉजिस्ट हैं। उनके नाम का लाभ लेने के लिए नरेंद्र यादव ने नरेंद्र जॉन केम के नाम पर डिग्री बनाई हैं। इसमें नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस, कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज से एमडी और पांडिचेरी यूनिवर्सिटी से डीएम कॉर्डियोलॉजिस्ट की डिग्री ली हैं।
इस डिग्री पर उप-राष्ट्रपति के हस्ताक्षर मिले हैं। इसकी जांच सीएमएचओ ने कराई। जिसमें अंसारी के लेटरहैड के साइन और डिग्री पर साइन अलग-अलग हैं। जिसके आधार पर पुलिस में एफआईआर कराई गई।
आरोपी का आधार नंबर एन जॉन केम के नाम से निकल रहा है। इधर मिशन अस्पताल में आरोपी डॉक्टर की नियुक्ति इंट्रीगेटिड वर्क फोर्स यूनिट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के माध्यम से हुई थी। इसमें आरोपी को 96 लाख रुपए सालाना वेतन का अनुबंधन किया गया था। उसे हर माह 8 लाख रुपए वेतन देना था।
आयोग की टीम दूसरे दिन भी जांच में जुटी रही
सर्किट हाउस में सुबह 9 बजे राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम ने पूछताछ के लिए बैठक की। इस दौरान 2 पीड़ित दसोंदा बाई और मंगल सिंह ठाकुर के परिजन से भी बयान लिए गए। हालांकि सर्किट हाउस में अधिकारियों को छोड़कर किसी को भी अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था। मुख्य गेट पर ही सशस्त्र बल तैनात किया गया था। केवल जांच से जुड़े अधिकारियों को ही अंदर एंट्री दी जा रही थी।