
दमोह में हार्ट सर्जरी के दौरान 7 मरीजों की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की टीम ने मिशन अस्पताल की कैथ लैब को सील कर दिया। फर्जी डिग्री वाले डॉक्टर ऐनकेम जॉन उर्फ डॉक्टर नरेंद्र यादव को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने उसे 5 दिन की रिमांड पर लिया है।
इधर, पुलिस पूछताछ में सामने आया कि डॉक्टर ऐनकेम जॉन ने ही सभी हार्ट सर्जरी की थी। अब प्रशासन मिशन अस्पताल के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। डॉक्टर पर मेडिकल एसोसिएशन ने 2019 में 5 साल के लिए बैन भी लगाया था। हालांकि बैन क्यों किया गया। इसकी जानकारी सामने नहीं आ सकी है।
5 सदस्यीय टीम पहुंची अस्पताल
गुरुवार शाम को करीब 4.30 बजे 5 सदस्यीय टीम अस्पताल पहुंची। इसमें जिला अस्पताल में पदस्थ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रहलाद पटेल, डॉ. विक्रांत चौहान, डॉक्टर राजेश नामदेव, डॉक्टर प्रशांत सोनी और नायब तहसीलदार रघुनंदन चतुर्वेदी शामिल थे।
कैथ लैब को डॉक्टर विक्रांत चौहान, डॉ राजेश नामदेव और नायब तहसीलदार रघुनंदन चतुर्वेदी के हस्ताक्षर से सील किया गया। वहीं टीम में शामिल जिला अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रहलाद पटेल और डॉ. प्रशांत सोनी ने मिशन अस्पताल के ब्लड बैंक का निरीक्षण किया।
ब्लड बैंक प्रभारी मौके पर नहीं मिले
डॉक्टर पटेल ने बताया कि यहां पर सब कुछ ठीक निकला, लेकिन ब्लड बैंक प्रभारी रिटायर्ड डॉक्टर पीसी स्वर्णकार हैं जो मौके पर नहीं मिले। इसे लापरवाही माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सबमिट करेंगे। उसके बाद ही तय होगा कि आगे क्या कार्रवाई करनी है। वहीं कैथ लैब सील होने पर मिशन अस्पताल की प्रबंधक पुष्पा खरे का आरोप है कि लैब को सील कर दिया है। करीब 8 मशीनें हैं। टेंपरेचर मेंटेन नहीं होगा तो मशीन खराब हो सकती है।
आरोपी की बातों को करेंगे वेरीफाई
दूसरी तरफ पुलिस रिमांड में मौजूद आरोपी डॉक्टर ऐनकेम जॉन उर्फ डॉक्टर नरेंद्र यादव से अभी तक कोई नया खुलासा नहीं हुआ है। पुलिस अधिकारियों का केवल इतना कहना है कि उसने अभी तक जो बताया था वह सब मीडिया के सामने आ चुका है। अब उन सभी बातों का सत्यापन करने के लिए अलग-अलग क्षेत्र में टीम भेजी गई है।
प्रैक्टिस पर लगा था बैन
दमोह एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने बताया कि 2014 से 2019 तक के लिए आरोपी डॉक्टर को मेडिकल एसोसिएशन ने प्रैक्टिस के लिए बैन किया था। क्यों किया था? इसकी जानकारी अभी नहीं आई है। यह भी संभावना है कि इसने 2017 में अपना फर्जी नाम इसीलिए बनाया होगा, क्योंकि इसे प्रैक्टिस के लिए बैन किया गया था।
नाम बदलने के लिए दिया था आवेदन
यह भी पता चला है कि 1998- 99 में इसने अपना नाम बदलने के लिए कानपुर नगर निगम में आवेदन किया था। शायद यह नाम इसलिए बदलना चाह रहा था, क्योंकि इसे नरेंद्र यादव नाम से बेन कर दिया गया था, लेकिन वहां पर इसका नाम परिवर्तन नहीं हो पाया। दमोह एसपी सोमवंशी का भी यही कहना है कि इसकी प्रैक्टिस बैन होने के बाद ही इसने नया नाम सोच लिया था और इसलिए उसने नरेंद्र केम जॉन नाम बदलने के लिए आवेदन किया था
