
मध्य प्रदेश में बिजली चोरी और लाइन लॉस को रोकने के लिए पुलिस थानों की तर्ज पर बिजली थाने खोलने की योजना ठंडे बस्ते में पड़ी है। तत्कालीन शिवराज सरकार ने चार साल पहले विद्युत कंपनियों की मांग पर यह योजना बनाई थी। योजना के अनुसार, तीनों बिजली कंपनियों- पूर्व, मध्य और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में बिजली थाने खोले जाने थे।
प्रत्येक थाने में 30 कर्मचारियों का स्टाफ रखा जाना था। इनमें 2 उप निरीक्षक, 4 सहायक उप निरीक्षक, 8 प्रधान आरक्षक और 16 आरक्षक शामिल थे। स्टाफ में 14 पुरुष और 2 महिला आरक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान था। बिजली थानों का मुख्य काम बिजली चोरी रोकना और कर्मचारियों के साथ होने वाले विवादों की जांच करना था।
ऊर्जा विभाग ने तीनों बिजली कंपनियों को थानों के लिए जमीन चिन्हित करने का निर्देश दिया था। वर्तमान में बिजली चोरी के मामलों में विद्युत कंपनियों को स्थानीय पुलिस की मदद लेना पड़ती है। इसके लिए लगातार पत्र भी जारी करने होते हैं। पत्र देने के बाद भी कई बार पुलिस उपलब्ध नहीं हो पाती। साथ ही खेतों में केबल चोरी के मामले भी सामने आते रहते हैं। इस कारण बिजली कंपनियों द्वारा बिजली थाने बनाए जाने की मांग की जा रही थी। मुख्य समस्या यह है कि तीनों बिजली कंपनियां थानों के लिए उपयुक्त जमीन का चयन नहीं कर पाई हैं। लिहाजा ये महत्वपूर्ण योजना क्रियान्वित नहीं हो पाई है।
पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के चीफ इंजीनियर केएल वर्मा के अनुसार-
इस योजना को लेकर शासन स्तर से दिशा निर्देश मिलना है जिसका इंतजार है शासन से निर्देश मिलने पर थाने खोले जाएंगे।