
सागर में गेहूं कटाई के बाद नरवाई प्रबंधन की जानकारी देने के लिए रथ रवाना हुआ। यह गांव-गांव पहुंचकर लोगों को नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करेगा। देखने में आया है कि गेहूं की कटाई के बाद खेतों में खड़ी नरवाई को नष्ट करने उसमें आग लगाई जाती है। इसकी वजह से आसपास के खेतों की फसल चपेट में आती है।
पिछले दिनों जिले में नरवाई जलाने की कई घटनाएं सामने आईं। जिस पर प्रशासन ने सख्ती से कार्रवाई कर 35 से अधिक किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
कलेक्टर संदीप जीआर ने नरवाई प्रबंधन रथ को रवाना करते हुए बताया कि यह नरवाई प्रबंधन रथ जिले के विभिन्न गांवों में जाकर किसानों को नरवाई जलाने के नुकसान और प्रबंधन के उपायों के बारे में जानकारी देगा। नरवाई नहीं जलाने के लिए किसानों को प्रेरित करेगा।
नरवाई प्रबंधन रथ का उद्देश्य जिले में नरवाई जलाने की घटनाओं को रोकना, पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना, खेतों की मिट्टी उपजाऊ बनाए रखना और जन धन हानि को रोकना है।
नरवाई का बनाएं भूसा, आग लगाने से बढ़ती है अम्लीयता
उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास ने किसानों से अपील की है कि नरवाई जलाने से भूमि में अम्लीयता बढ़ती है। जिससे मृदा खराब होती है। सूक्ष्म जीवाणुओं की सक्रियता घटने लगती है और भूमि की जलधारण क्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
किसान कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई के साथ ही भूसा बनाने की मशीन का उपयोग कर यदि भूसा बनाएंगे तो पशुओं के लिए भूसा मिलेगा और फसल अवशेषों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा। साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी। पर्यावरण भी सुरक्षित होगा।