
कान्हा नेशनल पार्क से पन्ना टाइगर रिजर्व में लाई गई बाघिन टी-2 रानी’ अब नहीं रही। 29 मई को उत्तर वन मंडल पन्ना के देवेंद्र नगर वन परिक्षेत्र में इस बाघिन का शव मिला था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से इसकी पहचान टी-2 के रूप में हुई है।
बाघिन टी-2 को वर्ष 2009 में बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत पन्ना लाया गया था। इसने बाघ टी-3 के साथ मिलकर वंशवृद्धि की। टी-2 ने अपने 7 प्रसव में कुल 21 शावकों को जन्म दिया। यह संख्या पन्ना टाइगर रिजर्व की अन्य बाघिनों की तुलना में सबसे अधिक है।
पीटीआर की फील्ड डायरेक्टर अंजना सुचिता तिर्की ने पुष्टि की है कि मृत बाघिन टी-2 ही थी। वर्तमान में पन्ना टाइगर रिजर्व में इस बाघिन की चार पीढ़ियां मौजूद हैं। टी-2 ने बाघ विहीन हुए पन्ना को फिर से बाघों से भर दिया।
एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से कान्हा से आई थी रानी
2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं बचा था। इसके बाद पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापना कार्यक्रम शुरू हुआ। तब इस बाघिन को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से कान्हा नेशनल पार्क से 9 मार्च 2009 को पन्ना टाइगर रिजर्व लाया गया था। पहली बार अक्टूबर 2010 में 4 शावकों को जन्म दिया. इसमें दो मादा और दो नर शावक थे. इस बाघिन ने जुलाई 2019 में 3 शावकों को जन्म दिया. इसमें दो मादा और एक नर शावक को जन्म दिया था। यहां इसने 21 शावकों को जन्म दिया। अभी इसकी यहां चार पीढ़िया मौजूद हैं।
बाघों के आपसी संघर्ष में मौत की आशंका
उत्तर वन मंडल के डीएफओ गर्पित गंगवार ने बताया कि देवेंद्र नगर परिक्षेत्र अंतर्गत बीट उमर झाला में एक बाघिन का शव 29 मई 2025 को मिला था, जिसका वन्य प्राणी डॉक्टर द्वारा पोस्टमॉर्टम कराया गया था। दाह संस्कार किया गया. इसके बाद डॉग स्क्वॉयड से सर्चिंग कराई गई, जिसमें किसी भी संदिग्ध घटना की जानकारी सामने नहीं आई। प्रथम दृष्टया बाघिन की मौत आपसी संघर्ष से होना सामने आई। बाघिन की उम्र 19 वर्ष हो चुकी थी।
पन्ना में दोबारा बाघ बसाने की पूरी कहानी…
1981 में 209.54 वर्ग किलोमीटर एरिया में पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क को राज्य सरकार ने मंजूरी दी थी। इसे 1994 ने देश का 22वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था, लेकिन शिकार और अफसरों की अनदेखी के कारण धीरे-धीरे बाघ खत्म होने लगे। 2007 तक पार्क सूना हो गया। एक भी बाघ नहीं बचा। बाघों के न होने के कारण पर्यटकों ने यहां आना बंद कर दिया था।
यह कारण था बाघ खत्म होने के
इसकी प्रमुख वजह बाघों का शिकार, रहने खाने की उचित व्यवस्था न करना, बाघों के अनुकूल वातावरण उपलब्ध न करवाना और पार्क के अधिकारी कर्मचारियों की उदासीनता थी। पार्क प्रबंधन बाघों की मौतों पर चुप्पी साधे रहता था। बाघों की आपसी लड़ाई या अन्य घावों के इलाज की कोई समुचित व्यवस्था नहीं थी, जिसके कारण भी कई बाघ काल के गाल में समा गए थे।