
जबलपुर के होम साइंस कॉलेज में पदस्थ वनस्पति शास्त्र की प्रोफेसर प्रज्ञा अग्रवाल (57) का शव शुक्रवार सुबह अंबर बिहार कॉलोनी स्थित उनके घर में खून से सना मिला था। घटना के 24 घंटे बाद आई पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रो. प्रज्ञा ने सुसाइड किया है। हालांकि मौके से सुसाइड नोट न मिलने से आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल सका है। प्रो. प्रज्ञा का हाथ आधा इंच कट गया था और ज्यादा खून बहने से उनकी मौत हुई है।
शहर के बीच दिनदहाड़े महिला प्रोफेसर की मौत से हड़कंप मच गया था। प्रो. प्रज्ञा का शव सबसे पहले उनकी मेड ने देखा और पड़ोसियों सहित पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंचे सीएसपी सहित थाना प्रभारी ने शव को पंचनामा बनाकर पोस्ट मार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा था। महिला के हाथ एवं गले पर कट के निशान थे, जो किसी गंभीर अपराध की ओर इशारा कर रहे थे।
ज्यादा खून बहने से हुई मौत
मेडिकल कॉलेज जबलपुर के डॉ. अभिषेक का कहना है कि प्रो. प्रज्ञा अग्रवाल ने आत्म हत्या की है। पीएम रिपोर्ट में सामने आया है कि मृतका ने लेफ्ट हैंड में चाकू पकड़ा और अपने राइट हैंड में कट मारा और फिर उसी हाथ से गले को कट किया। हाथ और गले में आधा इंच से अधिक का कट लगा है। उन्होंने बताया कि हाथ की नस कटते ही तेजी से खून बहने लगा। कुछ ही देर में आधा से एक लीटर खून बह गया, जिससे 10 से 15 मिनट में प्रोफेसर की मौत हो गई।
छोटे भाई से दो दिन पहले हुई थी बात
घटना की जानकारी लगते ही शुक्रवार को भोपाल से जबलपुर पहुंचे प्रो. प्रज्ञा अग्रवाल के छोटे भाई प्रज्ञेश अग्रवाल ने बताया कि दो दिन पहले ही फोन पर बात हुई थी। उस समय बात करने से ऐसा नहीं लगा कि वह इस तरह का कदम उठा सकती हैं। प्रज्ञेश ने बताया कि वह अक्सर बड़ी बहन से मिलने के लिए जबलपुर आते थे। कुछ दिनों बाद दीदी भी भोपाल आने का कह रही थीं। प्रज्ञेश अग्रवाल भोपाल के एक्सीलेंस कॉलेज में डायरेक्टर हैं।
एक दर्जन से अधिक लोगों से हुई पूछताछ
सीएसपी आशीष जैन ने बताया कि होम साइंस कॉलेज के टीचर, छात्र और पड़ोसियों सहित एक दर्जन से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है। सभी का कहना था कि प्रो. प्रज्ञा जिंदादिल और खुशमिजाज महिला थीं। कॉलेज प्रबंधन कहता है कि नेक एक्रीडेशन का पूरा काम मैडम ही संभालती थीं। उनकी सबसे बड़ी भूमिका थी, जिसे वे कुशलता से निभाती थीं।
पुश्तैनी मकान को कराना है ठीक
पुलिस पूछताछ में पता चला है कि प्रो. प्रज्ञा अग्रवाल कॉलेज के काम में इतना व्यस्त रहती थीं कि घर का काम भी नहीं करवा पा रही थीं। पुश्तैनी मकान में रह रहीं प्रो. प्रज्ञा बार-बार कहती थीं कि जल्दी ही नेक और कॉलेज का काम संपन्न हो जाए, फिर अपने माता-पिता के पुश्तैनी मकान का पुनर्निर्माण कराऊंगी। इस मकान से भी उनकी बचपन की यादें जुड़ी थीं, इसलिए वह इसी मकान में रहना चाहती थीं।
पुलिस के लिए चुनौती प्रज्ञा की आत्महत्या
सीएसपी आशीष जैन का कहना है कि पीएम रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रो. प्रज्ञा ने खुद का हाथ और गला काटकर आत्महत्या की है। अब पुलिस के लिए सुसाइड की वजह तलाश करना चुनौती है। अभी तक परिवार, कॉलेज और पड़ोस में रहने वालों के अलावा घर पर काम करने वाली मेड से भी पूछताछ की गई है और आगे की जांच जारी है। एफएसएल टीम को शव के पास से एक चाकू मिला है, जो घर के काम में उपयोग किया जाता है।
दमोह हुआ था ट्रांसफर
प्रो. प्रज्ञा का हाल ही में ट्रांसफर हुआ था। उन्हें जबलपुर से दमोह भेज दिया था। प्रोफेसर घर में अकेली रहती थीं और आसपास के कुछ लोग कभी-कभी उनसे मिलने आया करते थे। वे अविवाहित थीं और होम साइंस कॉलेज में वनस्पति शास्त्र पढ़ाती थीं।