
सागर में फाइनेंस कंपनी से लिए लोन की राशि जमा करने के बाद भी कंपनी ने ग्राहक को एनओसी नहीं दी और सिविल से ऋण खाता समाप्त नहीं किया। जिस कारण परिवादी ने उपभोक्ता आयोग में केस लगाया। आयोग ने सुनवाई करते हुए फाइनेंस कंपनी को 15 दिन में एनओसी देने और ऋण खाता समाप्त करने का आदेश दिया है। साथ ही 15 हजार रुपए सेवा में कमी के रूप में देने की बात कही है।
दरअसल, आवेदिका राजकुमारी पति महेश वाल्मीकि निवासी राजीवनगर सागर ने एमएएस फाइनेंस सर्विसेस लिमिटेड शाखा प्रबंधक, तिलकगंज वार्ड सागर के खिलाफ जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में परिवाद पेश की। जिसमें उन्होंने बताया कि 14 दिसंबर 2018 को व्यक्तिगत लोन 1 लाख 1 हजार 113 रुपए फाइनेंस कंपनी से लिया था। जिसकी प्रतिमाह किस्त 4178 रुपए 36 किस्तों में मय ब्याज के 1 लाख 50 हजार 408 रुपए जमा किए। कभी डिफाल्टर नहीं रहे। 18 अगस्त 2020 को 56 हजार 891 रुपए और उसी दिन दूसरी रसीद पर 40 हजार 109 रुपए बकाया ऋण राशि 97 हजार रुपए जमा कर ऋण खाता समाप्त करा लिया गया। फाइनेंस कंपनी ने ऋण खाता समाप्त करने के बाद एनओसी आने पर देने की बात कही। लेकिन कंपनी ने एनओसी नहीं दी और ऋण खाता सिविल में समाप्त नहीं किया। इस कारण से अन्य बैंक ऋण नहीं दे रहे हैं। शिकायत करने पर तीन माह में स्वत: सिविल में खाता समाप्त होने का बोला गया। लेकिन नहीं हुआ। इसके बाद कंपनी ने 72 हजार 518 रुपए की मांग की। परेशान होकर आवेदिका ने परिवाद पेश की।
6% ब्याज के साथ देना होगी अतिरिक्त किस्त की राशि
आवेदिका के अधिवक्ता पवन नन्होरिया ने बताया कि परिवाद पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष राजेश कुमार कोष्टा और सदस्य अनुभा वर्मा ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कंपनी ने अपना पक्ष रखा। लेकिन वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। आवेदिका ने लोन राशि जमा करने की रसीदें व अन्य दस्तावेज पेश किए। आयोग ने सुनवाई करते हुए मामले में फैसला सुनाया।
आयोग ने आदेश में 26 फरवरी 2022 के पत्र के माध्यम से मांग की गई राशि 72518 रुपए अवैधानिक होने पर निरस्त कर दी है। आवेदिका द्वारा 18 अगस्त 2020 को ऋण की राशि जमा कर दी थी। जिसमें कंपनी 15 दिन में एनओसी देकर सिविल खाता समाप्त करने की सूचना दे। 4187 रुपए की 5 किस्तों की राशि अतिरिक्त ली गई। जिसे 6 प्रतिशत ब्याज सहित वापस करने और सेवा में कमी के रूप में 15 हजार, परिवाद व्यय के 2 हजार रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है।