
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सागर की केंद्रीय जेल से 14 बंदियों को रिहा किया गया। इनमें 13 पुरुष और 1 महिला बंदी शामिल हैं। सभी बंदी हत्या के अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। रिहा होने के बाद बंदी दोबारा अपराध न करने का संकल्प लेकर अपने घर लौटे।
परिवारजन जेल के बाहर इंतजार करते रहे
जैसे ही रिहाई की सूचना मिली, बंदियों के परिजन जेल के बाहर उन्हें लेने पहुंच गए। रिहा किए गए बंदी भावुक नजर आए और परिवार के साथ घर रवाना हुए।
जेल में मिली पुनर्वास की ट्रेनिंग
जेल प्रशासन ने बताया कि बंदियों को जेल में रहते हुए जीवनयापन के लिए टेलरिंग, कारपेन्ट्री, लोहारी, भवन मिस्त्री और भवन सामग्री निर्माण जैसे कामों का प्रशिक्षण दिया गया। ताकि बाहर आने के बाद वे मुख्यधारा में शामिल होकर समाज में बेहतर जीवन बिता सकें।
शासन की रिहाई नीति के तहत कार्रवाई
मध्यप्रदेश शासन की रिहाई नीति के तहत यह कार्रवाई की गई है। इस नीति के अनुसार, हत्या जैसे अपराधों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों को विशेष माफी दी जा रही है। हालांकि, दुष्कर्म और पॉक्सो जैसे गंभीर अपराधों में सजा काट रहे बंदियों को किसी भी तरह की माफी नहीं दी जाएगी।
इन बंदियों को जेल से रिहा किया जा रहा
जेल अधीक्षक मानेन्द्र सिंह परिहार ने जानकारी दी कि रिहाई पाने वालों में 60 वर्षीय महिला बंदी भी शामिल है। उन्होंने बताया कि बंदियों से अपराध न दोहराने की अपील की गई है। रिहा किए गए बंदी हैं- अर्जुन पिता भागीरथ कुर्मी, रामनाथ पिता राजाराम यादव, गुटरू उर्फ दिलीप पिता घनश्याम अहिरवार, गोपीलाल पिता रतन सिंह, हाले पिता गोपाल, हल्के उर्फ भगत पिता रामसिंह दांगी, डग्गीराज पिता प्रीतम सिंह बुंदेला, नरेंद्र पुत्र नाथू अहिरवार, राजेश पिता जगदीश विश्वकर्मा, हरिराम पिता लक्ष्मण साहू, गुड्डू उर्फ अमृत पिता लक्ष्मण साहू, कोमल पिता हरप्रसाद साहू, मुन्ना पिता लक्ष्मण साहू और महिला बंदी हसीना पति मजीद खां।