
दमोह में गणेश उत्सव से पहले स्वदेशी जागरण मंच ने सराहनीय पहल शुरू की है। स्वावलंबी भारत अभियान के तहत दमोह में लोगों को ईको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसका उद्देश्य ना केवल हमारी परंपरा को कायम रखना है, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखना है।
हर साल गणेश उत्सव के दौरान प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) और रासायनिक रंगों से बनी प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है, जो नदियों और तालाबों को प्रदूषित करती हैं। इससे जलीय जीवों के जीवन पर भी खतरा मंडराता है। इसके विपरीत मिट्टी से बनी प्रतिमाएं विसर्जन के बाद आसानी से घुल जाती हैं और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचातीं।
अनुभवी कलाकार दे रहे हैं प्रशिक्षण
इस कार्यशाला में दमोह के प्रसिद्ध राजेश पेंटर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को बहुत ही आसान तरीके से गणेश प्रतिमा बनाना सिखा रहे हैं। यह प्रशिक्षण आज से शुरू हो गया है और अनंत चतुर्दशी तक जारी रहेगा। इस पहल से लोगों में स्वदेशी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। बच्चे बचपन से ही पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझेंगे और लोग अपने घर पर ही प्रतिमाएं बनाकर उत्सव मना पाएंगे।
आयोजकों का कहना है कि अगर हम सब मिलकर ईको-फ्रेंडली प्रतिमाओं का इस्तेमाल करें तो गणेश उत्सव वास्तव में पर्यावरण और समाज दोनों के लिए मंगलमय बन सकता है। इस मौके पर मनोहर पथरौल, डॉक्टर मोनिका पालीवाल, कंचन असाटी, हनी सरदार और नीलू नामदेव सहित कई लोग मौजूद थे।