
अर्थव्यवस्था पर लाए गए श्वेत पत्र पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का जवाब समाप्त होने के बाद धनखड़ ने सदन में कुछ सदस्यों के आचरण पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि आज का दिन मेरे लिए अत्यंत पीड़ा का रहा। सभापति का इशारा जयंत चौधरी को बोलने का अवसर देने पर नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से आपत्ति जताने और कुछ विपक्षी सदस्यों की ओर से हंगामा किए जाने की ओर था।
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि जब उच्च सदन के सदस्य जयंत चौधरी अपने दादा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा पर सदन को संबोधित कर रहे थे। तब कांग्रेस सदस्यों के ‘अपमानजनक’ आचरण से इतने दुखी हुए कि एक ‘किसानपुत्र’ होने के नाते उनके मन में अपने पद से तुरंत त्यागपत्र देने का विचार आया। अर्थव्यवस्था पर लाए गए श्वेत पत्र पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का जवाब समाप्त होने के बाद धनखड़ ने सदन में कुछ सदस्यों के आचरण पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि आज का दिन मेरे लिए अत्यंत पीड़ा का रहा।
सभापति का इशारा जयंत चौधरी को बोलने का अवसर देने पर नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से आपत्ति जताने और कुछ विपक्षी सदस्यों की ओर से हंगामा किए जाने की ओर था। धनखड़ ने कहा कि चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी को उनके लिखित अनुरोध पर कुछ समय सदन में देना स्वाभाविक था क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री किसी परिवार तक सीमित नहीं थे। उन्होंने कहा कि जब यह मुद्दा उठा और जो आचरण मैंने देखा, वह अप्रत्याशित, अपमानजनक, पीड़ादायक और गरिमा के विपरीत था। कुछ लोगों का आचरण इतना छोटा था कि मैं शर्मसार हो गया।
आसन पर विराजमान होना ही दुखदाई रहा
धनखड़ ने कहा कि ईमानदारी के प्रतीक, उत्कृष्ट आचरण के धनी, किसान और गरीबों के हितकारी चौधरी चरण सिंह को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देना स्वाभाविक रूप से सभी के लिए एक उत्सव का विषय होना चाहिए था। लेकिन मेरा आज इस आसन पर विराजमान होना मेरे लिए दुखदाई रहा। आज मैं मान कर चलता हूं कि सदन का हर सदस्य भारत के इस महान सपूत को भारत रत्न दिए जाने पर गर्व महसूस करता है।
हमे चुप करा देते हैं, फिर जयंत को इजाजत क्यों
खरगे ने कहा था कि जिन भी शख्सियतों को भारत रत्न देने की घोषणा की गई है उस पर कोई विवाद नहीं है और वह सभी को सलाम करते हैं लेकिन किस नियम के अधीन जयंत चौधरी को बोलने का मौका दिया गया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्य नियमों के अधीन भी मुद्दा उठाना चाहते हैं तो उन्हें ‘चुप’ करा दिया जाता है।