
पन्ना जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित मड़ैयन गांव के 3 हजार से ज़्यादा लोग चार साल से पक्की सड़क का सपना देख रहे हैं। यह सपना आज तक अधूरा है, क्योंकि सड़क निर्माण के लिए वन विभाग की मंजूरी (NOC) नहीं मिल पाई है। सरकार ने सड़क के लिए फंड और मंजूरी 2021 में ही दे दी थी, लेकिन वन विभाग की आपत्ति के कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा है।
यह समस्या सिर्फ मड़ैयन गांव की नहीं है, बल्कि इससे लगे नयापुरा गांव के लोग भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं। दोनों गांव के लोग एक अच्छी सड़क के लिए वर्षों से इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ढिलाई के कारण स्थिति जस की तस बनी हुई है।
5 में से 2 किमी सड़क पीटीआर से गुजरती है
गुंदलहा नाले से मड़ैयन गांव तक 5 किलोमीटर की पक्की सड़क बननी है। इस 5 किलोमीटर के हिस्से में से करीब 2 किलोमीटर की सड़क पन्ना टाइगर रिजर्व (PTR) की सीमा से होकर गुजरती है, जिसके लिए वन विभाग की NOC ज़रूरी है।
सड़क के लिए 5 करोड़ रुपए का बजट 4 अक्टूबर, 2021 को स्वीकृत किया गया था। टेंडर पन्ना के ठेकेदार भरत मिलन पांडेय को मिला, लेकिन जब उन्होंने काम शुरू करने की कोशिश की तो वन विभाग ने आपत्ति जता दी। इसके बाद से टेंडर की समय सीमा भी खत्म हो चुकी है और काम रुका हुआ है।
स्थानीय विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह ने इस मामले को लेकर दो बार प्रयास किए हैं। हाल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलकर वन और राजस्व विवादों को सुलझाने की बात की। मुख्यमंत्री ने जल्द ही इस समस्या के निराकरण का आश्वासन दिया है।
बारिश में बढ़ जाती हैं मुश्किलें
यह कच्ची और दलदली सड़क बारिश के मौसम में गांव वालों के लिए मुसीबत बन जाती है। इस दौरान एम्बुलेंस और पुलिस की गाड़ियां (डायल 100) भी समय पर गांव तक नहीं पहुंच पातीं।
हाल ही में 25 अगस्त को एक 13 साल की बच्ची की सांप के काटने से मौत हो गई, क्योंकि सड़क की खराब हालत के कारण उसे समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में डेढ़ घंटे का समय लग गया, जिससे बहुत देर हो चुकी थी।
गांव के लोग बताते हैं कि सड़क की वजह से उनके रिश्तेदार भी गांव आने से कतराते हैं। बबलू कुशवाहा कहते हैं, “बारिश में गांव की सड़क पर मोटरसाइकिल तो दूर, पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। हम मजबूरी में यह जीवन जी रहे हैं।”
एंबुलेंस तक नहीं आ पाती
राम भगत कुशवाहा बताते हैं कि अगर कोई बीमार पड़ जाए तो एम्बुलेंस गांव तक नहीं आती। मुख्य सड़क तक पहुंचने में ही एक घंटा लग जाता है। उजागर लाल कुशवाहा का कहना है, “कच्ची सड़क का सफर तय करते-करते हमारी दो पीढ़ियां गुजर गई हैं। न जाने कब हमारा पक्की सड़क का सपना पूरा होगा।”
ग्राम पंचायत इटवां कलां के सचिव गणेश कुशवाहा ने बताया कि पंचायत ने बारिश के दौरान मुरम और चचरा डालकर 50 हज़ार रुपए की वैकल्पिक व्यवस्था की थी, ताकि लोगों को थोड़ी राहत मिल सके।
यह रिपोर्ट बताती है कि सरकार की स्वीकृति और बजट होने के बावजूद, वन विभाग की एक NOC न मिलने के कारण मड़ैयन गांव के लोग आज भी एक बेहतर सड़क के लिए इंतज़ार कर रहे हैं। प्रशासन के ढुलमुल रवैये के चलते इन ग्रामीणों को हर दिन भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।