
एनजीटी कहा कि उद्योगों और आवासीय क्षेत्रों के बीच पांच सौ से हजार मीटर का बफर जोन होना चाहिए। इसके साथ ही बेंच ने एनजीटी में जमा बीस लाख रुपये हादसे के पीड़ितों पर खर्च करने के भी आदेश जारी किए हैं।
हरदा जिले में पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए अब तक की कार्रवाई और राहत कार्य की रिपोर्ट मांगी है। एनजीटी के न्यायिक सदस्य शिव कुमार सिंह और एक्सपर्ट मेंबर डॉ. अफरोज अहमद ने कहा कि उक्त उद्योगों और आवासीय क्षेत्रों के बीच पांच सौ से हजार मीटर का बफर जोन होना चाहिए। इसके साथ ही बेंच ने एनजीटी में जमा बीस लाख रुपये हादसे के पीड़ितों पर खर्च करने के लिए भी कहा। पर्यावरण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, रेवेन्यू और शहरी विकास के प्रमुख सचिवों की कमेटी यह राशि खर्च करेगी। एनजीटी ने तीन सप्ताह के भीतर एक्शन प्लान पेश करने के निर्देश भी दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि डॉ. पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव ने एनजीटी में अवमाननना याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने खतरनाक पटाखों पर अंडरटेकिंग और टेस्टिंग के आदेश दिए थे। आवेदकों की ओर से कहा गया कि यदि उक्त आदेशों का पालन किया जाता तो हरदा जैसा हादसा घटित नहीं होता। याचिकाकर्ता नाजपांडे ने बताया कि एनजीटी ने उक्त याचिका को हरदा पर सुमोटो याचिका के साथ सलंग्न करते हुए हादसों के पूर्ण नियंत्रण के लिए 26 बिंदुओं पर विस्तृत विवरण देते हुए सख्ती से पालन किए जाने के निर्देश दिए हैं।