
राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह की शहादत को दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं। जन्म भी एक बार होता है और मौत भी एक बार होती है, लेकिन जन्म को सार्थक करने वाली मौत नहीं होती है। वो बलिदान होता है, वो अमर हो जाते हैं। यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कही। वे शहीद राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के 168वें बलिदान दिवस पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्वेंशन सेंटर जबलपुर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आदिवासी भाईयों के इस गौरव पर हमें गर्व है। लोग उस समय भी फूट डालते थे और अब भी डालते हैं। कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन था। वे चाहते तो दिल्ली-मुंबई कहीं भी मना सकते थे पर वे आदिवासी भाई-बहनों के बीच धार में जन्मदिन मना रहे थे। सीएम ने कहा कि आदिवासी और हमारी पार्टी के बीच प्रेम है।
प्रधानमंत्री ने माता-बहनों की चिंता की है। स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। अपना ध्यान रखिए, आप स्वस्थ रहोगी तो परिवार भी ठीक रहेगा। अपनी जांच कराना, बीमारी का पता होना चाहिए। समय पर इलाज हो जाता है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी के भाव को जाग्रत करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटे व्यापारियों को साथ लेकर चलना पड़ेगा।
शाह पिता-पुत्र ने अंग्रेजों की एक शर्त नहीं मानी
सीएम ने कहा कि अंग्रेजों ने कायरता का परिचय दिया। अंग्रेजों ने तीन शर्तें (धर्म बदल लो, अंग्रेजों की सत्ता स्वीकार कर लो और विरोध करने का चरित्र बदल लो) रखीं। उन्होंने तीनों शर्तों पर संधि करने से मना कर दिया। अंग्रेज कहते थे हम न्याय से चलते हैं पर इस मामले में शंकर शाह-रघुनाथ शाह पर बगैर कोई मुकदमा चलाए तोप से उड़ाने का निर्णय लिया। इससे पहले सीएम ने दोनों शहीद की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया और रानी दुर्गावती चिकित्सालय जबलपुर में झाडू़ लगाई।
मंत्री, विधायक-सांसद स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाएंगे
सीएम ने मीडिया से चर्चा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सेवा पखवाड़े के अंतर्गत हमने जबलपुर अस्पताल में सफाई की है। प्रदेश के सभी अस्पताल साफ स्वच्छ हों। स्वच्छता के प्रति हम जागरुक रहें। यही हमारी मंशा है। स्वदेशी अभियान भी चला रहे हैं। सभी मंत्री, विधायक सांसद आमजन के साथ स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाएंगे।
आने वाली पीढ़ी इस बलिदान से सीखे
मंत्री पटेल ने कहा कि देश और दुनिया के इतिहास में ऐसा कहीं नहीं मिलता है कि कविता लिखने पर किसी को तोप से उड़ा दिया जाए। शंकर शाह-रघुनाथ शाह इतिहास में अकेले उदाहरण हैं। उनके बलिदान ने इस देश को आजादी दिलाई और मूल्यों पर मर जाने का सामर्थ्य दिया।
आने वाली पीढ़ियां इस बलिदान से सीखें। प्रधानमंत्री ने गुमनाम शहीदों के लिए जो अभियान चलाया। उससे ऐसे-ऐसे शहादत के उदाहरण सामने आ रहे हैं कि वास्तव में उनके आगे सर झुकाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
वोटों की राजनीति करने वाले वोटों की राजनीति करें। शहीदों के लिए जो काम भाजपा सरकार ने किया है दूसरा उदाहरण नहीं मिला और न ही मिलेगा। परिवार के लिए लोगों ने किया होगा, लेकिन शहीदों के लिए भाजपा सरकार ने किया है किसी और ने नहीं किया।
