
उमरिया की जगदंबा ऑटोमोटिव्स कंपनी पर सीबीआई के बाद अब ईडी ने भी शिकंजा कस दिया है। लोन के नाम धोखाधड़ी के आरोप कंपनी पर लगे थे। उसके बाद से ही कंपनी केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियों के निशाने पर है।
उमरिया की जगदंबा एएमडब्ल्यू ऑटोमोटिव्स प्रा.लि. अब प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के शिकंजे में फंस गई है। लोन में गड़बड़ी के मामले में सीबीआई जांच में फंसने के बाद कंपनी पर अब ईडी की नजर है। भोपाल से आई ईडी की टीम ने कंपनी की ताला स्थित अचल संपत्ति को अटैच किया है। मनी लॉन्डरिंग के आरोपों के चलते यह कार्रवाई की गई है।
जिले के मानपुर तहसील के ताला गांव में कंपनी के डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह पिता विश्वनाथ सिंह की प्रॉपर्टी को राजसात किया गया है। जमीन का रकबा 3.082 हैक्टेयर बताया गया है। सीबीआई ने 2017 में इस प्रकरण की जांच की थी। सीबीआई ने बैंक लोन के नाम पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। इस हाई-प्रोफाइल मामले में जगदंबा एएमडब्ल्यू ऑटोमोटिव्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक पुष्पेंद्र सिंह, भाई योगेन्द्र प्रताप सिंह और कृष्ण दत्त दुबे तत्कालीन प्रबंधक कैनरा बैंक जबलपुर सचिन उरमलिया, राहुल गर्ग पर धोखाधड़ी के आरोप लगे थे। दो अन्य के विरुद्ध अभी आरोप तय नहीं हुए हैं। 2017 के प्रकरण में 50 वाहनों के ऋण के नाम पर 14.93 करोड़ रुपये की निवेशकों से जालसाजी की गई। उमरिया के उपपंजीयक आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय का पत्र मिला है। सीबीआई ने धोखाधड़ी की जांच के संबंध में प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई है। यह संपत्ति ईडी ने अटैच कर ली है।
50 वाहनों के ऋण का मामला
आरोप पत्र में सीबीआई ने 50 वाहन ऋणों से संबंधित धोखाधड़ी की जांच की है। इनकी ऋण राशि मेसर्स जगदंबा एएमडब्ल्यू ऑटोमोटिव्स प्राइवेट लिमिटेड के खाते में जमा हुई थी। ये ऋण केनरा बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक कृष्ण दत्त दुबे ने स्वीकृत किए थे। सभी 50 वाहनों की ऋण 14.93 करोड़ रुपये था। सीबीआई ने उधारकर्ताओं, अन्य व्यक्तियों और अन्य क्रेडिट सुविधाओं यानी टर्म लोन, ओसीसी और हाउसिंग लोन द्वारा स्वीकृत की भूमिका के संबंध में सीआरपीसी की धारा 173 (8) के तहत जांच को लंबित रखा है। मानपुर तहसील अंतर्गत ताला बांधवगढ़ में अधिकतर रिजॉर्ट और होटल प्रदेश के बाहरी लोगों की है।