
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर 17 सितंबर को नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने पहली बार भारत की धरती पर चार शावकों को जन्म दिया था। इसमें से तीन की मौत हो गई थी एक शेष बचा है, यह फीमेल चीता है जो अब 29 मार्च को एक साल का हो चुका है। जो पूरी तरह स्वस्थ है। कूनो प्रबंधन द्वारा मिठाई वितरण कर उसका जन्मदिन मनाया गया।
बता दें ज्वाला ने 29 मार्च 2023 को चार शावकों को जन्म दिया था। भीषण गर्मी के चलते दो माह बाद ही तीन शावकों की मौत हो गई थी। एक मात्र जीवित बचे शावक को उस समय बमुश्किल से विशेषज्ञों की निगरानी में उपचार के बाद बचाया जा सका था। अभी कूनो नेशनल पार्क में यह फीमेल चीता (शावक) पूरे एक साल का हो चुका है और यह शिकार भी करने लगा है। कूनो प्रबंधन ने एक शॉर्ट फ़िल्म भी शेयर की है, जिसमें चीते को बचाने के लिए किस तरह इंतेजाम किए हैं, बताया है।
नामकरण हुआ
एक वर्ष के शावक का नाम भी आज कूनो प्रबंधन द्वारा रख दिया गया है। इसका भारतीय नाम “मुखी” रखा गया है। इसकी देखभाल करने वाले फील्ड स्टाफ इसे प्यार से मुखी कहते हैं। मुखी उम्मीद और मजबूत संकल्प का प्रतीक बन गया है। चीता परियोजना की सफलता की उम्मीद और इसे चलाने वाले लोगों का संकल्प।
मादा चीता ज्वाला से जन्मी मुखी के तीन और भाई-बहन थे। लेकिन जन्म के दो महीने के भीतर, उसने अपने भाई-बहनों को खो दिया। खुद भी वह कूनो प्रबंधन के प्रयासों से मौत के कगार से वापस आई। इस पूरी प्रक्रिया में, मुखी और उसकी मां का साथ छूट गया। यह मुखी के लिए सबसे कठिन दौर था लेकिन पशुचिकित्सकों और फील्ड स्टाफ की कड़ी मेहनत एवं देखभाल के फलस्वरुप वह इस कठिन दौर से निकल पाई। कूनो प्रोजेक्ट चीता के तहत कूनो नेशनल पार्क में 20 चीते लाए गए थे जिनमें से सात की मौत हो गई और 13 चीते जीवित हैं, अब कुनो नेशनल पार्क में शावकों सहित टोटल चीतों की संख्या 27 है।


