
दमोह में वृद्धा का शव ई रिक्शा से ले जाने का मामला सामने आया है। दरअसल कहा जा रहा है कि अस्पताल से शव वाहन नहीं मिला तो मजबूरी में परिजनों ने ऐसा कदम उठाया। वहीं अस्पताल वालों का कहना है कि परिजनों ने शव वाहन का इंतजार नहीं किया।
दमोह जिला अस्पताल में एक वृद्ध महिला की मौत हो जाने पर उसके शव को ले जाने परिजनों को शव वाहन भी नहीं मिल सका है। पहले परिजनों ने बाइक पर शव को रखा, लेकिन कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लगा तो उन्होंने ई रिक्शा से शव को भिजवाया। पति अपनी पत्नी के शव को गले से लगाकर रिक्शा से घर ले गया। हालांकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि परिजनों ने शव वाहन का इंतजार नहीं किया।
जानकारी के अनुसार शहर के सवा लाख मानस पाट निवासी नारायण पटेल अपनी 65 वर्षीय वृद्ध मां के बीमार होने पर शनिवार रात बाइक से लेकर जिला अस्पताल पहुंचा था। जहां डॉक्टर ने जांच के बाद महिला को मृत बता दिया। बेटे नारायण के बताए अनुसार उसने मां के शव को घर ले जाने के लिए जिला अस्पताल से शव वाहन मंगाया और फोन लगाने के कुछ देर बाद भी शव वाहन नहीं मिला और निजी वाहन किराए पर लेने पैसे नहीं थे। तो वे लोग बाइक से शव को ले जाने लगे। मां के शव को बाइक पर रख लिया था। वहां मौजूद कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लगा। उन्होंने ई रिक्शा को बुलाया और महिला के पति ने पत्नी के शव को गोद में लिटाया और बेटे को बैठाकर घर चला गया।
परिजनों ने नहीं किया इंतजार
इस पूरे मामले में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. राजेश नामदेव का कहना है की परिजनों ने शव वाहन मांगा था। ड्राइवर ने 15 मिनट में आने के लिए बोला था, लेकिन परिजनों ने लोकल के होने के कारण इंतजार नहीं किया और ई रिक्शा से शव ले गए। नगर पालिका के द्वारा अस्पताल में शव वाहन संचालित किया जाता है।
बता दें जिला अस्पताल प्रशासन मरीजों और परिजनों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा करते हैं, लेकिन जब इस प्रकार के मामले सामने आते हैं तब हकीकत सामने आ जाती है। शव वाहन समय पर न मिलने का यह कोई नया मामला नहीं है। पहले भी इस प्रकार के आरोप लगते रहे हैं।