
इकलौते भाई की मौत के बाद घर में बची बहनों ने मां-बाप-भाई होने का फर्ज निभाते हुए अपने भाई की अंतिम यात्रा में शामिल होकर मुक्तिधाम तक अपने इकलौते भाई का साथ निभाया। बल्कि भाई की चिता को मुखाग्नि देकर छोटी बहन नीतू रजक ने अंतिम संस्कार की रस्में निभाई।
मध्य प्रदेश के सागर में एक बहन ने अपने भाई को मुखाग्नि दी है। इकलौते भाई को अंतिम विदाई देने बहन ने सारी रस्में निभाई। मुक्तिधाम पर जब लोगों ने ये दृश्य देखा तो अपने आंसू नहीं रोक पाए।
मामला सागर के रामपुरा वार्ड बताशा वाली गली का है। ड्राइक्लीन का काम रहने वाले 40 वर्षीय संतोष रजक को दो दिन पहले ब्रेन हेमरेज की शिकायत के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रविवार सुबह संतोष रजक ने दुनिया को अलविदा कह दिया। दो बहनों में इकलौते संतोष रजक के पिता इस जमाने को पहले ही अलविदा कह चुके हैं। इकलौते भाई की मौत के बाद घर में बची बहनों ने मां-बाप-भाई होने का फर्ज निभाते हुए अपने भाई की अंतिम यात्रा में शामिल होकर मुक्तिधाम तक अपने इकलौते भाई का साथ निभाया। बल्कि भाई की चिता को मुखाग्नि देकर छोटी बहन नीतू रजक ने अंतिम संस्कार की रस्में निभाई।
बहन ने अपने इकलौते भाई को रोते-रोते अलविदा कहा और बहन होने का बखूबी फ़र्ज़ निभाया। बता दें कि दो बहनों में इकलौते भाई संतोष रजक के पिता मुन्ना रजक इस जमाने को पहले की अलविदा कह चुके हैं। पिता के जाने के बाद घर की जिम्मेदारी इकलौते बेटे संतोष पर ही थी, लेकिन अचानक ब्रेन हेमरेज की शिकायत के बाद संतोष ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया। संतोष की बीते डेढ़ साल पहले ही शादी हुई थी। पत्नी और छोटी बहन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। बहरहाल एक बहन ने जब अपने इकलौते भाई के अंतिम संस्कार की रस्में निभाई तो वहां मौजूद लोग अपनी आंखों से आंसू नही रोक सके।