
सियासी समीक्षकों का आंकलन बीजेपी के एकतरफा जीत के विपरीत जा रहा है। इनका आंकलन कहता है कि मध्यप्रदेश में पांच सीटों पर बड़े उलटफेर हो सकता है। इनके मतानुसार छिंदवाड़ा, राजगढ़ और मुरैना में कांटे की टक्कर मानी जा रही है।
पिछली लोकसभा में मध्यप्रदेश की 29 से 28 सीटों पर कब्जा रखने वाली बीजेपी इस बार बड़े फेरबदल की संभावनाओं में सिमटी हुई है। मालवा-निमाड़ से मिलने वाली मुश्किलों के बीच ग्वालियर- चंबल से भी नुकसान के बादल मंडरा रहे हैं। चार जून को आने वाले नतीजों पर सबकी नजर भी लगी है और कयासबाजी का दौर भी जारी है।
सियासी समीक्षकों का आंकलन बीजेपी के एकतरफा जीत के विपरीत जा रहा है। इनका आंकलन कहता है कि मध्यप्रदेश में पांच सीटों पर बड़े उलटफेर हो सकता है। इनके मतानुसार छिंदवाड़ा, राजगढ़ और मुरैना में कांटे की टक्कर मानी जा रही है। साथ ही रतलाम और मंडला में भी चौंकाने वाले नतीजे मिल सकते हैं। कहा जा रहा है कि छिंदवाड़ा में नकुलनाथ और बंटी के बीच कांटे की टक्कर है। यह आंकलन कह रहा है कि राजगढ़ सीट पर दिग्गी का जादू चल सकता है। जबकि मुरैना में कांग्रेस और बसपा भाजपा का खेल बिगाड़ सकती है। यह सियासी पंडित कहते हैं कि रतलाम में मोदी फैक्टर से ही बीजेपी को आस। जबकि सतना में त्रिकोणीय मुकाबला खेल बिगाड़ सकता है। इसी तरह मंडला में बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते को बड़ी चुनौती मिल सकती है।
हालात यहां भी ठीक नहीं
चुनावी समीक्षकों का मानना है कि ग्वालियर, चंबल मालवा और विंध्य में बीजेपी को कड़ी चुनौती मिल सकती है। इनका कहना है कि ग्वालियर-चंबल में बीजेपी उम्मीदवारों के लिए कार्यकर्ताओं में नाराजगी हैं। मुरैना में विधानसभा चुनाव हारे हुए भरत सिंह कुशवाहा को लोकसभा उम्मीदवार बनाया गया था। इसी तरह विंध्य में भी प्रत्याशियों को लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी रही। सीधी से राजेश मिश्रा और रीवा से जनार्दन मिश्रा भाजपा उम्मीदवार थे। यहां लोकसभा चुनाव में बीजेपी कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है।
इधर, मालवांचल में धार रतलाम, खरगोन में कड़ा मुकाबला देखा गया है। गौरतलब है कि धार, रतलाम और खरगोन में कांग्रेस की सबसे ज्यादा सीटें हैं। मालवा-निमाड़ में कुल 66 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें कांग्रेस के पास हैं। चुनाव के बाद इन क्षेत्रों में पार्टी नेताओं के भ्रमण से मिले फीडबैक ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है।