
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा है कि मध्यप्रदेश कानून व्यवस्था के सबसे निचले स्तर पर आ चुका है। गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक तंगी ने बड़ी संख्या में परिवारों को तनाव और अवसाद में धकेल दिया है। नेता प्रतिपक्ष सीएम से मिल कर सुझाव देंगे।
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी बुधवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि छिंदवाड़ा के बोदल कछार गांव में एक युवक द्वारा अपने परिवार के ही आठ लोगों की हत्या कर फांसी लगाने की घटना दुखद है। आरोपी ने सबसे पहले पत्नी को कुल्हाड़ी से काटा, फिर एक-एक कर मां, बहन, भाई, भाभी, भतीजे और भतीजियों को मार डाला। जंगलराज की सभी पराकाष्ठा को पार कर चुका मध्यप्रदेश कानून व्यवस्था के सबसे निचले स्तर पर आ चुका है। गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक तंगी ने बड़ी संख्या में परिवारों को तनाव और अवसाद में धकेल दिया है। जीतू ने बताया कि प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार विधायकों के साथ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलकर व्यवस्थाएं सुधारने का सुझाव देंगे।
तमाम सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों पर
पटवारी ने कहा कि महंगाई ने ग्रामीण इलाकों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, दिखावे की तमाम सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही गरीबी दूर करने का दावा कर रही हैं तथा जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। एनसीआरबी के वर्ष 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, मध्यप्रदेश आत्महत्याओं के मामले में देश भर में तीसरे स्थान पर रहा था, कुल 14,965 लोगों ने उस साल आत्महत्या की थी, जो देश में सामने आए आत्महत्या के कुल मामलों का 9.1% था, आत्महत्या की दर (17.8) राष्ट्रीय औसत (12) से भी अधिक थी।
दो महीने में हुई घटनाओं का पेपर बनाएंगे
पटवारी ने कहा हम दो महीनें की घटनाओं को लेकर एक व्हाइट पेपर बनाएंगे। इसको कैसे सुधारें कांग्रेस पार्टी वो सुझाव देगी। हम उन लोगों में से नहीं हैं कि केवल रोज आरोप लगाना। मैंने जब भी कोई बात मुख्यमंत्री से कही तो सुझाव के साथ की। कभी नफरत और घृणा के साथ नहीं की। पटवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने पूर्व में आनंद विभाग खोलने की नौटंकी करके उसमें कई अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति की थी, लेकिन इसकी असफलता का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के लोगों को आनंद की अनुभूति तो हुई नहीं, उलटा आत्महत्याओं का ग्राफ बढ़ा है। विभाग के गठन के समय राज्य का हैप्पीनेस इंडेक्स जारी करने को इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य बताया गया था तथा आईआईटी खड़गपुर के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने के अलावा तत्कालीन अधिकारियों ने सरकारी खर्च पर भूटान के दौरे भी किए थे, लेकिन तब से अब तक नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा है। सरकार को इस बात का चिंतन जरूर करना चाहिए कि क्या यही है नरेंद्र मोदी जी का खुशहाल भारत या न्यू इंडिया, जिसमें सिर्फ तनाव और हताशा का माहौल है। जहां रिश्ते हत्या तक सीमित हो गए हैं, उम्मीद है मोहन यादव सरकार घटना की त्वरित जांच करेगी।
सीएम के सागर दौरे को लेकर कही यह बात
पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के सागर दौरे को लेकर कहा कि आंसुओं का सागर सूख जाने के बाद उनका जाना निर्रथक है। मौत का खूनी खेल खत्म होने के बाद उनका जाना निर्रथक है। निर्दोषों की चिताएं जब बुझ गईं तब उनका जाना निर्रथक है। एक ही परिवार की कई पीढ़ियां जब पंचतत्वों में में विलीन हो गईं तब उनका जाना निर्रथक है। असहनीय दुख की इस घड़ी में पीड़ितों के घाव पर मरहम लगाने की बजाय मुख्यमंत्री विपक्ष के रूप में कांग्रेस की असहमति पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। यदि सरकार ईमानदारी से अपना काम करे तो विपक्ष को बोलने का ही अवसर नहीं मिले, चूंकि ऐसा होता नहीं, इसीलिए सरकार से लड़ना पड़ता है।
सीएम साहब प्रदेश को जंगल राज्य से दिलाइए मुक्ति
पटवारी ने कहा कि मोहन यादव जी बहुत ही भारी और भरे हुए मन से, फिर से आप ही से करबद्ध प्रार्थना कर रहा हूं कि जानलेवा हो चुके इस जंगलराज से मध्यप्रदेश को मुक्ति दिलाइए। मैंने बहुत करीब से पीड़ित परिवार की विवशता को देखा है तथा उनके असहाय आक्रोश का अनुभव भी किया है। भाजपा सरकार की सत्ता और व्यवस्था से जनता का उठा हुआ विश्वास, अब विरोध में बदल चुका है। अनीति, आतंक, अव्यवस्था और अराजकता के इस सबसे गंभीर दौर में न्याय दरिद्र हो चुका है। देखने वालों की दूरदृष्टि नष्ट हो चुकी है। सुनवाई करने वाली कुर्सियां ऊंचा सुनने लगी हैं तो मोहन यादव जी देश के हृदय प्रदेश की बढ़ती हुई धड़कनों की चिंता करें। इससे पहले कि जन-विश्वास दम तोड़ दे, कानून-व्यवस्था की नब्ज़ पर मुख्यमंत्री अपना हाथ धर दें।