
सागर-दमोह-नरसिंहपुर जिले में फैले टाइगर रिजर्व को वह प्रसिद्धि नहीं मिल पाई जिसका यह हकदार था और इसके पीछे अनेक कारण है, जिनकी वजह से यह अभयारण्य सैलानियों को नहीं लुभा पा रहा है।
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े अभयारण्य नौरादेही को पिछले वर्ष सितंबर माह में सरकार ने वीरांगना रानी दुर्गावती बाघ अभयारण्य के रूप में परिवर्तित कर दिया था। मध्य प्रदेश के राजपत्र में इसे प्रदेश के सातवें टाइगर रिजर्व के रूप में दर्जा हासिल हो गया था, लेकिन इस टाइगर रिजर्व को वह प्रसिद्धि नहीं मिल पाई जिसका यह हकदार था और इसके पीछे अनेक कारण है, जिनकी वजह से यह अभयारण्य सैलानियों को नहीं लुभा पा रहा है।
सागर-दमोह-नरसिंहपुर जिले में फैले इस अभयारण्य में आलम यह है कि अभयारण्य की सीमा में आने वाले कार्यालयों, पहुंच मार्गों, रास्तों तथा प्रमुख स्थलों पर जगह-जगह लगे बोर्ड होडिंग और शासकीय दफ्तरों में अब तक नाम भी परिवर्तित नहीं किया गया। अभयारण्य में सफारी करने के लिए लोगों को रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व की वेबसाइट पर इस अभयारण्य के बारे में संपूर्ण जानकारी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। आवासीय क्षेत्र और मुख्य मार्गों पर आज भी नौरादेही अभयारण्य के नाम से साइन बोर्ड और बैनर लगे हुए हैं। अधिकारियों की यह उदासीनता निश्चित ही सरकार के इस गर्व करने वाले फैसले पर एक काला धब्बा है।
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में लगभग 15 से अधिक बाघ हैं, लेकिन सैलानी उन्हें कैसे देख सकते हैं। जंगल सफारी की क्या व्यवस्थाएं हैं, यह ऐसे प्रश्न हैं जिनकी जानकारी के अभाव में लोग अब तक यहां आने में दिलचस्पी नहीं दिखाते और जंगल सफारी के शौकिया सैलानी पन्ना तथा बांधवगढ़ का रुख कर लेते हैं। लोगों के यहां न आने के पीछे कई सारे कारण हैं, जिनमें प्रचार प्रसार की कमी, लोगों के लिए आवागमन के साधन एवं विश्राम स्थल की कमी यहां कहां घूमें, कैसे घूमें, कब घूमें, कहां से जाएं, कितना पैसा लगेगा, किससे संपर्क करें, वहां क्या व्यवस्थाएं हैं, कितना शुल्क लगेग? जैसे ढेरों सवाल आम सैलानी के मन में आते रहते हैं, जिनका जवाब देने वाला कोई नहीं दिखता और लोग यहां जाने से कन्नी काट लेते हैं।
अगर जिम्मेदार अधिकारी इन सब खामियों पर तत्परता से कार्रवाई नहीं करते तो निश्चित ही आने वाले समय में रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व महज कागजों में ही सिमटकर रह जाएगा। वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डीएफओ अब्दुल अंसारी का कहना है कि जल्द ही इन खामियों को दूर कर लिया जाएगा तथा उनका प्रयास है कि लोग महारानी दुर्गावती अभयारण्य के बारे में ज्यादा जान सकें।