
आचार्य श्री समय सागर महाराज ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा साक्षात तीर्थंकरों का दर्शन आज संभव नहीं है, लेकिन तीर्थंकरों की वाणी को आत्मसात करते हुए आत्म कल्याण करते हुए मोक्षमार्गियों को मार्ग प्रशस्त किए हैं।
दमोह जिले के जैन सिद्ध तीर्थ क्षेत्र कुंडलपुर में बने विश्व के सबसे ऊंचे बड़े बाबा के मंदिर के शिखर पर मंगलवार को स्वर्ण कलश चढ़ाया गया। इस नजारे को देखने हजारों लोग कुंडलपुर बड़े बाबा के मंदिर पहुंचे। यह मंदिर 500 फीट ऊंची पहाड़ी पर 189 फीट ऊंचा बना है। जिस पर 15 फीट तीन इंच लंबा और 9 फीट चौड़ा स्वर्ण कलश स्थापित किया गया है। इस कलश में 1200 किलो तांबा और 10 किलो सोने की परत चढ़ी है। इसी के पूर्व और पश्चिम के 141-141 फीट के दो मंदिरों के शिखर पर भी 400-400 किलो के कलश चढ़ाए गए हैं। इनमें भी 2-2 किलो सोने की परत चढ़ी है। इसी प्रकार मंदिर के सामने स्थित सहस्त्रकूट के ऊपर भी 500 किलो तांबे का कलश चढ़ाया गया है।
इस अवसर पर आचार्य श्री समय सागर महाराज ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा साक्षात तीर्थंकरों का दर्शन आज संभव नहीं है, लेकिन तीर्थंकरों की वाणी को आत्मसात करते हुए आत्म कल्याण करते हुए मोक्षमार्गियों को मार्ग प्रशस्त किए हैं। सन 1976 में आचार्य महाराज संघ सहित कुंडलपुर आए और यहां का वातावरण देखा, पहाड़ के ऊपर नीचे मिलाकर 62 जिनालय हैं, उनका दर्शन उनकी वंदना की। उसमें हम भी शामिल थे और उस समय क्षुल्लक अवस्था थी। वातावरण कैसा था, उसका वर्णन भी हम नहीं कर पाएंगे, लेकिन उस समय जो कुंडलपुर का रूप था, वर्तमान में जो आप लोग गगन को छूने वाले उत्तंग शिखर के साथ बड़े बाबा जिनालय का दर्शन भारतवर्ष के नहीं देश-विदेश के लोग यहां आकर करते हैं।
उनको लगता होगा यह सपना तो मैं नहीं देख रहा हूं। ऐसा अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिलता है, यह जो परिकल्पना उनकी रही है, अद्भुत परिकल्पना है। उस परिकल्पना को उन्होंने साकार रूप दिया है। उनके हृदय के जो उदगार हैं, उन उद्गारों को सुनकर के बुंदेलखंड के जो अनन्य भक्त रहे, उनके लिए जो उनका आशीर्वाद मिला है, उसके फल स्वरुप ऐसी ऊर्जा प्रस्फुटित हुई है, जिसने उनकी परिकल्पना को मूर्त रूप दिया है।
आचार्य महाराज ने कुंडलपुर सिद्ध क्षेत्र को विशाल बनाने के लिए जो निर्माण उनका मंगलमय आशीर्वाद रहा है, उनका पूरा-पूरा मार्गदर्शन रहा निर्देशन रहा, बीच-बीच में संकेत देते गए। जिस प्रकार सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में जिनालय निर्मित हुआ है, इसी प्रकार से सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर में भी भव्य जिनालय का निर्माण उनके आशीर्वाद से संपन्न हुआ। इसके अलावा अमरकंटक सर्वोदय इसके नाम से जाना जाने लगा है। वहां पर भी इसी प्रकार से भव्य जिनालय का निर्माण हुआ।