
‘जहां पर जमीन मिली थी, उसके पास शाजापुर जिला शिक्षा अधिकारी विवेक दुबे के कॉलोनी है। विवेक दुबे जिला शिक्षा अधिकारी होने के बावजूद कॉलोनी नायजर हैं, उनकी नजर इस जमीन पर है।’
शाजापुर जिले में दलित उत्पीड़न की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला शाजापुर के मुली खेड़ा ग्राम पंचायत का है। जहां पर साल 2019 में पंचायत द्वारा 11 परिवारों को पट्टे मिले थे। जहां पर वह अपना आशियाना बना सकें, इसके लिए उन्हें ग्राम पंचायत द्वारा प्रदत्त पट्टे का प्रमाण पत्र भी दिया गया था। लेकिन मध्यप्रदेश में मोहन यादव सरकार के अधिकारी-कर्मचारियों ने 11 परिवारों को पट्टे में मिली जमीन पर जब दलित परिवार के लोगों ने अपना आशियाना बनाना शुरू किया तो मौके पर पहुंचकर अतिक्रमण कहकर हटा दिया गया। मामले को लेकर जब एसडीएम से बात करनी चाहिए तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया।
वहीं, ग्राम पंचायत से प्राप्त पट्टे धारी प्रभुलाल मंडोर का कहना है कि उनको जहां पर जमीन मिली थी, उसके पास शाजापुर जिला शिक्षा अधिकारी विवेक दुबे के कॉलोनी है। विवेक दुबे जिला शिक्षा अधिकारी होने के बावजूद कॉलोनी नायजर हैं। उनकी नजर इस जमीन पर है, जिसको देखते हुए जिला प्रशासन ने उनको पट्टे से बेदखल कर दिया है। एसडीएम मनीषा वास्कले से जब मीडिया कर्मी ने बात करनी चाही तो एसडीएम का कहना था कि मामले में बाद में बात करते हैं।