
तेंदूखेड़ा जनपद सीईओ मनीष बागरी ने बताया कि गोरखा तालाब की जांच कराई गई थी। वह एक, दो जगह से नहीं बल्कि आठ जगह से फूटा था। पंचायत द्वारा पंद्रह लाख की लागत से बनवाया गया था। कार्य अभी अधूरा है, तालाब में तेरह लाख का भुगतान हुआ है।
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक में गोरखा गांव का तालाब पिछली साल बारिश में फूट गया था। इससे किसानों की फसल बर्बाद हो गई। अब बारिश का मौसम शुरू हो गया और किसान चिंतित हैं। क्योंकि न तालाब का सुधार हुआ, जिससे उन्हें फसलों के लिए पानी नहीं मिलेगा और न ही उन्हें बर्बाद फसल का मुआवजा मिला है।
किसानों का कहना है कि बारिश में फूटे तालाब में पानी रुकेगा नहीं, इसलिए उनको ठंड की फ़सल के लिए पानी नहीं मिलेगा और बारिश के समय होने वाली फसल तेज बहाव में बह जाएगी। ऐसी स्थिति में किसान यह सोच रहे हैं कि तालाब के नजदीक लगे खेतों में फसल की बुआई करें या नहीं।
पंचायत द्वारा हुआ था निर्माण
पिछले साल गोरखा गांव में तेज बारिश के चलते तालाब फूटा था। इस तालाब का निर्माण ग्राम पंचायत द्वारा किया गया था। उसके फूटने का कारण तेज बहाव था। बाद में जनपद स्तर पर उसकी जांच कराई गई तो पता चला जिस जगह तालाब का निर्माण हुआ था, वहां पानी भराव बड़े स्तर पर होता है और तालाब का जो निर्माण हुआ था, वह काफ़ी कम लागत में था। उसे भविष्य में फूटना ही था, लेकिन इतनी जल्दी फुट जाएगा यह किसी ने नहीं सोचा था। दूसरी बात यह कि पिछले वर्ष अन्य वर्षों से बारिश ज्यादा हुई थी, जिसके कारण कई नदी-नाले प्रभवित हुए थे। उनमें एक गोरखा गांव का तालाब भी शामिल था।
न मुआवजा मिला न हुआ सुधार
पिछले साल जब गोरखा तालाब फूटा था। उस समय दर्जनों किसानों के खेतों में लगी फसलें प्रभावित हुई थी। लेकिन आज तक उनमें किसी को नुकसान का मुआवाजा नहीं मिला। स्थानीय ग्रामीण अनरत आदिवासी ने बताया कि तालाब के पानी से दोनों फ़सल हो जाती थी। लेकिन पिछले साल तालाब फुट गया। उसके बाद गेहूं की फ़सल हम लोगों ने पानी कमी के कारण की नहीं है और धान की फ़सल उसी समय खराब हो गई थी। हम लोगों ने तालाब निर्माण की मांग की, लेकिन सुधार नहीं हुआ।
सविता आदिवासी का कहना है कि हमारे खेत तालाब से लगे हुये हैं और तालाब फूटा पड़ा है। ऐसे में यदि फ़सल की बुआई भी करते हैं तो वह तेज बहाव में बह जाएगी। इसलिए एक वर्ष से खेती बंद कर दी है। पूरे परिवार के पास तीन से चार एकड़ जमीन थी, जो गेहूं फ़सल के समय पानी के अभाव के कारण खाली पड़ी रही।
यह हुई थी जांच
तेंदूखेड़ा जनपद सीईओ मनीष बागरी ने बताया कि गोरखा तालाब की जांच कराई गई थी। वह एक, दो जगह से नहीं बल्कि आठ जगह से फूटा था। पंचायत द्वारा करीब पंद्रह लाख की लागत से बनवाया गया था। कार्य अभी अधूरा है, तालाब में करीब तेरह लाख का भुगतान हुआ है। निर्माण एजेंसी द्वारा गलत तरीके से बनाया गया था। जो सर्वे रिपोर्ट प्राप्त हुई है। उसके हिसाब से तालाब निर्माण के लिए एक करोड़ 60 लाख की लागत लगनी थी, जो पंचायत के अधीन नहीं है। इसलिए उसका प्रतिवेदन बनाकर जिला भेजा गया है। जो अब आगे अन्य विभाग द्वारा बनवाया जाएगा। पूर्व में उपयंत्री से जानकारी लेने पर पता चला है कि स्टीमेट बड़े स्तर पर जिले में भेजा गया था, लेकिन उसको पंचायत स्तर पर मंजूरी नहीं मिली थी।
इनपर होगी वसूली
तेंदूखेड़ा जनपद सीईओ मनीष बागरी ने बताया कि तालाब की पानी भराव की क्षमता 30,000 हजार घनमीटर है। तालाब आठ जगह से फूटा है। इसलिए जिन जगह पर पानी को रोका जा सकता है, वहां बोरी बंधान कराया जायेगा और जो राशि तालाब में व्यय हुई है, उसकी वसूली पंचायत कर्मियों और संबंधित उपयंत्री से वसूली के लिए मेरे द्वारा प्रतिवेदन जिला भेजा गया है।