
पन्ना – जिले के दूरदराज ग्रामीण अंचलों में बरसात के सीजन में दूषित पानी मुसीबत बन रहा है। ताजा मामला जिले के पवई विधानसभा क्षेत्र के पटोरी गांव से सामने आया है।
जहां दूषित पानी पीने से गांव में उल्टी-दस्त का प्रकोप फैल गया। इसकी चपेट में आने से एक ही परिवार के तीन बच्चों सहित कुल चार बच्चों की मौत हुई है। वहीं गांव के 14 लोग बीमार बताए जा रहे हैं। जिन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पवई में भर्ती कराया गया है।
इनकी हुई मौत
पटोरी गांव में बीते दो-तीन दिन से एक-एक कर उल्टी दस्त से लोग बीमार पड़ने लगे। लेकिन गुरुवार के दिन यहां उल्टी दस्त से एक साथ 14 लोग बीमार पड़ गए, जिनमें तीन बच्चों की मौत हो गई। वहीं गांव के आदिवासी मोहल्ला में मंगलवार को अखिलेश पिता शंभू दीन (7) की मौत हो गई थी। गुरुवार को अशोक (14) उपासना (11) और सीमा (6) पिता मुन्नीलाल आदिवासी की उल्टी-दस्त से मौत हो गई। ये तीनों आपस में सगे भाई-बहन थे।
मौके पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम
गांव में एक के बाद एक चार बच्चों की मौत की खबर लगते ही स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ और पवई बीएमओ विवेक कुमार टीम के साथ मौके पर पहुंचे। जहां 14 लोगों को उल्टी-दस्त से पीड़ित पाया गया।बीमारों को एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पवई में भर्ती कराया गया है। जहां सभी का इलाज जारी है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में बीमार लोगों के भोजन और पानी के सैंपल लिए गए हैं।
तीन बच्चों ने घर में तोड़ा दम
मृतक तीन बच्चों के पिता मुन्नीलाल आदिवासी ने बताया कि मेरे तीन बेटे और तीन बेटियां थी। जिनमें उल्टी-दस्त से तीन बच्चों की मौत हो गई है। बच्चों को सिर्फ उल्टी-दस्त हुई और इलाज के लिए कही नहीं ले जा पाए। गांव के डॉक्टर से दवाई के लिए कहा तो उन्होंने दवाई करने से इनकार कर दिया। घर में ही एक के बाद एक तीनों बच्चों की मौत हो गई। कहीं ले जाने का मौका भी नहीं मिल पाया।
हैंडपंप के पानी का लिया सैंपल
सीएमएचओ डॉ. एसके त्रिपाठी ने बताया कि जानकारी लगते ही गुरुवार की सुबह से स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में मौजूद है। मैं भी वहीं रहा हूं। गांव में पता चला कि एक परिवार के तीन बच्चों की गुरुवार को मौत हुई है। 13-14 लोग उल्टी दस्त से पीड़ित पाए गए हैं।
जिन्हें इलाज के लिए पवई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। गांव में कुल चार बच्चों की मौत हुई है। जिसका प्रथम दृष्ट्या दूषित पानी उपयोग करना ही कारण समझ आ रहा है। हैंडपंपों के पानी के सैंपल लेकर जांच के लिए भिजवाए गए हैं।