
युवाओं में नशे का क्रेज़ इस कदर चल रहा है कि प्रतिबंधित दवाइयां को नशे के लिए उपयोग कर रहे हैं। जून 2023 में केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए कई कफ सिरप के उत्पादन और बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी, इसके बावजूद आज भी कई ऐसी कंपनियां है जो कि बेधड़क होकर कफ सिरप का उत्पादन कर रही है, और बाजार में भी यह खूब बिक रहे हैं। कफ सिरप का उपयोग युवा नशे के लिए कर रहे हैं। जबलपुर निवासी अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने खुलेआम विक्रय हो रहे कफ सिरप को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की, जिसमें सुनवाई के दौरान सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए 22 अक्टूबर तक जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि कफ सिरप का उपयोग स्वास्थ्य सुधारने को छोड़कर नशे के लिए उपयोग किया जाने लगा, जिसको लेकर 2 जून 2023 को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए क्लोफेनिरामाइन व कोडिन के संयुक्त डोज वाले कफ सिरप के उत्पादन, वितरण और बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बावजूद आज भी देश के कई जिलों में न सिर्फ इसका उत्पादन हो रहा है बल्कि इसकी बिक्री भी जोरो पर है। याचिकाकर्ता का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की लापरवाही के चलते इस तरह से प्रतिबंधित कफ सिरप बाजार में बिक रहे हैं।
अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने बताया कि इन कफ सिरप का इस्तेमाल नशे के कारोबार के लिए किया जा रहा है। इस तरह से कफ सिरप मानव एवं पशुओं दोनों के लिए खतरनाक है। अधिवक्ता गुप्ता के मुताबिक प्रतिबंध की अधिसूचना के बाद से अब तक करीब 40 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई है, इसमें ही स्पष्ट है कि अभी भी इनका उत्पादन धड़ल्ले से हो रहा है और यह सब सरकार की नाकामी के चलते ही हो रहा है।
जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ़ की डिवीजन बेंच ने सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन, नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो नई दिल्ली के डायरेक्टर, जनरल खाद्य एवं औषधि प्रशासन भोपाल के ड्रग कंट्रोलर एवं डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है मामले पर अगली सुनवाई अब 22 अक्टूबर को होगी।