
दमोह जिले के सिंग्रामपुर में हुई मोहन यादव कैबिनेट की बैठक में जबलपुर के मदन महल पहाड़ी पर रानी दुर्गावती स्मारक बनाने की मंजूरी दी गई है। 24 एकड़ एरिया में सौ करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस स्मारक को जबलपुर की बावड़ियों की थीम पर बनाया जाएगा।
इस स्मारक परिसर में धातु, शिल्प कला और टेराकोटा के तीन अलग-अलग जोन बनेंगे। DMF (डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड) से बनने वाले इस स्मारक में रानी की शौर्य गाथा के साथ ही गौंडवाना संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी।
रानी दुर्गावती संग्रहालय का वास्तुशिल्प डिजाइन स्थानीय गौंडवाना वास्तुकला पर आधारित होगा। इस म्यूजियम के सेंट्रल एरिया की थीम जबलपुर की बावड़ियों पर आधारित होगी। इस म्यूजियम में सॉविनियर शॉप, सूचना केंद्र और रानी दुर्गावती की कांस्य की प्रतिमा स्थापित होगी।
म्यूजियम में बनेंगी सात प्रकार की गैलरी




गैलरी 5, 6 और 7 में यह लगेंगे
- गैलरी नंबर 5 : यहां फोटो और पोट्रेट लगाए जाएंगे।
- गैलरी नंबर 6 : यहां परंपराओं और लोकथाओं को सजीव रूप में दिखाया जाएगा।
- गैलरी नंबर 7 : यहां बैकलिट बांस की दीवार पैनल बनाई जाएगी।
ऐसा होगा सेंट्रल कोटयार्ड
सेंट्रल कोटयार्ड में जबलपुर की बावड़ी की थीम पर कल्चरल स्पॉट बनाया जाएगा। इसी जगह धातु के पेड की कलाकृति बनाई जाएगी। पूरे स्मारक परिसर में दिशासूचक और जानकारी देने के लिए डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएंगे। संकेतक बनाने के लिए पत्थर और लकड़ी का ही उपयोग किया जाएगा।

ओपन थिएटर बनेगा
रानी दुर्गावती स्मारक पर ओपन थिएटर बनाया जाएगा। इस थिएटर में बैठने के लिए स्थानीय पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। पेड़ों के नीचे बैठक व्यवस्था बनाई जाएगी। जहां सांस्कृतिक आयोजन हो सकेंगे। ओपन थिएटर ऐसा बनाया जाएगा जिसमें दिन और रात्रि में कार्यक्रम हो सकेंगे।
गौंड व्यंजनों का बनेगा रेस्टोरेंट
जनजातीय और गौंड फूड स्ट्रीट भी स्मारक परिसर में जनजातीय ग्राम समूह द्वारा विकसित किया जाएगा। यहां की कृतियों को ग्रामीण शैलियों में विकसित किया जाएगा और इनमें गोंडवाना क्षेत्र की जनजातीय कला, शिल्प और सांस्कृतिक जीवन की झलक दिखेगी।
100 कारों की पार्किंग
स्मारक परिसर में सौ कारों की पार्किंग की व्यवस्था होगी। इसके अलावा भोजनशाला, व्यंजन क्षेत्र, कुम्भार क्षेत्र भी बनाए जाएंगे। परिसर में 200 टू व्हीलर और करीब सौ फोर व्हीलर वाहन खडे़ हो सकेंगे।

पानी संरक्षण के लिए पार्क भी बनेगा
स्मारक परिसर में जल संरक्षण के लिए एक जल संरक्षण पार्क भी बनाया जाएगा। इसके साथ ही अपशिष्ट खाद तैयार करने के लिए गड्ढे भी बनाए जाएंगे। ताकि परिसर से निकलने वाले वेस्ट से खाद तैयार की जा सके।
मुख्य प्रवेश द्वार के आगे केन्द्रीय प्रांगण बनाया जाएगा। इसी परिसर में संग्रहालय भी बनाया जाएगा। इसी प्रांगण के दूसरे छोर पर रानी दुर्गावती की प्रतिमा लगाई जाएगी। स्मारक परिसर में रोशनी के लिए चट्टानों का उपयोग किया जाएगा।
24 एकड़ में ये काम होंगे
- प्रवेश द्वार
- संग्रहालय
- केंद्रीय प्रांगण
- रानी दुर्गावती प्रतिमा
- ओपन एयर थिएटर
- कला और शिल्प जोन-1 (शिल्प कला)
- कला और शिल्प जोन-2 (धातु)
- कला और शिल्प जोन-3 (टेराकोटा)
- फूड जोन
- कैफेटेरिया
- 9 डी एक्सपीरियंस
- जल संरक्षण संरचनाएं
- इल्युमिनेशन
- पार्किंग
- जन सुविधाएं