
जबलपुर में लंबे समय से किसान डीएपी को लेकर परेशान हो रहे है। किसानों का कहना है रबी फसल की बोवनी के लिए अगर समय पर खाद नहीं मिली तो बुआई नहीं हो पाएगी और किसान जैसे-तैसे फसल लगा भी लेगा तो उत्पादन कम होगा। जिला प्रशासन ने किसानों को डीएपी वितरण के लिए लॉटरी का सहारा लेना शुरू कर दिया है, कलेक्टर ने इसके लिए एसडीएम की ड्यूटी लगाई है।
ऐसी होगी डीएपी की व्यवस्था
कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि जिले में निश्चित रूप से डीएपी की कमी है, हाल ही में रेक भी आए है। जिसमें किसानों को डीएपी वितरित होना है और इसके लिए गुरुवार से नई व्यवस्था की गई है। कलेक्टर ने कहा कि अब दिन में 12 बजे तक जितने भी किसान आवेदन आधार कार्ड के साथ देंगे, उसमें यह भी लिखना है कि कितनी डीएपी की आवश्यकता है। उसी दिन दोपहर को 3 बजे एसडीएम के समक्ष लॉटरी निकाली जाएगी। जिनके नाम इसमें आते है, उन किसानों को अगले दिन सुबह डबल लॉक सेंटर से डीएपी दी जाएगी। इधर किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार ने सब्सिडी घटा दी और देश में पर्याप्त मात्रा में डीएपी ना होने की वजह से यह संकट खड़ा हुआ है। इसका खामियाजा आम जनता को महंगा अनाज खरीद कर चुकाना होगा।
सिहोरा में खाद वितरण केंद्र में हंगामा
जबलपुर की सिहोरा तहसील की भी एक तस्वीर सामने आई, जिसमें सरकार की डबल लॉक गोदाम के बाहर किसानों ने अपने आधार कार्ड लाइन से लगा कर रखे हैं।सैकड़ों किसान खाद के लिए डबल लाॅक के बाहर खड़े हुए हैं और जमकर हंगामा कर रहे है। किसानों का आरोप है कि गोदाम के केन्द्र पीछे से कई किसानों को डीएपी दी जा रही है। इसी तरह की कुछ तस्वीर पनागर ब्लॉक से सामने आई है, जहां किसान परेशान हो रहे है। जबलपुर के कटंगी, पाटन और गुरु पिपरिया में किसानों ने सड़क पर जाम लगा दिया था लेकिन किसान कितना हल्ला मचा ले उन्हें डीएपी मिलने वाला नहीं है।
आखिरकार डीएपी का संकट क्यों खड़ा हुआभारत अपनी जरूरत का 40% डीएपी ही उत्पादित करता है, बाकी खाद भारत आयात करता है और यह आयात महंगा पड़ता है। इसलिए सरकार को 2 लाख करोड़ से ज्यादा की सब्सिडी रासायनिक खाद के आयात में खर्च करनी पड़ती है। सरकार इस खाद सब्सिडी को कम करना चाहती थी इसलिए जानबूझकर डीएपी का आयात कम किया गया। इसमें कई दूसरे कारण जोड़कर बताया जा रहा है कि कुछ समुद्री लुटेरों की वजह से भारत में खाद नहीं आ पाया तो सोशल मीडिया पर बताया जाता है कि दुनिया में चल रहे युद्ध से भी डीएपी की कमी हो रही है लेकिन वास्तविकता यह है कि सरकार ने पर्याप्त मात्रा में डीएपी का आयात किया ही नहीं।
भारत कृषक समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केके अग्रवाल का कहना है कि खाद के आयात में केंद्र सरकार ने ही 25000 करोड़ की कटौती की है इसलिए किसानों को पर्याप्त डीएपी नहीं मिल पाएगा। इधर कांग्रेस के पूर्व विधायक संजय यादव ने भी डीएपी को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने कहा कि सरकार ना किसानों को चाहती है और ना ही आदिवासियों को, पूर्व विधायक का कहना है कि हर साल सरकार किसानों को इसी तरह से रुलाती है।