
जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद ने टूरिस्ट गाइड तैयार कराई है। इसमें जिले के झरने, राष्ट्रीय उद्यान, किले, पुरातात्विक स्थल, जंगल आदि के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी जुटाई गई हैं। इन स्थानों की विशेषताओं व उनके इतिहास की जानकारी दी गई है ताकि टूरिस्ट जाने से पहले ही उस स्थान के संबंध में जान सकें। इसे जिला पुरातत्व पर्यटन एवं सांस्कृतिक परिषद ने छपवा लिया है। विश्व धरोहर सप्ताह के तहत मंगलवार से शुरू हुए कार्यक्रमों की श्रृंखला में 24 नवंबर को टूरिस्ट गाइड का विमोचन कराया जाएगा।
पहली बार जिले की टूरिस्ट गाइड आई है। अब इसके माध्यम से स्थानीय लोग तो पर्यटन स्थलों के संबंध में ज्यादा जानेंगे ही पर्यटकों द्वारा पूछे जाने पर उन्हें भी स्थानों के संबंध में विस्तार से जानकारी दे पाएंगे। इससे पहले अब तक जिले के पर्यटन स्थलों की जानकारी देने वाला कोई दस्तावेज या पुस्तक नहीं थी।
विश्व धरोहर सप्ताह शुरू, यह कार्यक्रम कराए जा रहे • 19 से 25 नवंबर- म्यूजियम चलो अभियान, लाखा बंजारा झील का भ्रमण 20 नवंबर- हेरिटेज वॉक, राहतगढ़ किला 21 नवंबर- खुरई से एरण, धरोहर जागरुकता बाइक रैली, महत्व पर चर्चा 22 नवंबर- हमारी धरोहर हमारा गौरव विषय पर चर्चा, पुस्तक विमोचन 23 नवंबर- हेरिटेज वॉक ऐतिहासिक दुर्ग धामोनी 24 नवंबर- हमारा सागर, हमारा गौरव विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता, नजरबाग पर आधारित चित्रकला प्रदर्शनी, मराठा कालीन बुंदेलखंड विषय पर परिचर्चा, सागर टूरिस्ट गाइड का विमोचन 25 नवंबर सागर के इतिहासकर का सम्मान, प्रमाणपत्र वितरण।
सूरत शाह ने बनवाया था धामौनी का किला – टूरिस्ट गाइड में जिले के किलों के संबंध में पुरातात्विक जानकारी जुटाई है। धामोनी के संबंध में बताया है कि बुन्देलखण्ड से मालवा जाने वाले रास्ते पर होने से यह दुर्ग एवं विशिष्ट प्राकृतिक भौगोलिक स्थित होने के कारण यह किला निर्माताओं, आक्रांताओं, यात्रियो के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। यह किला एक हजार साल से आकर्षण का केंद्र रहा है। दुर्ग का निर्माण सूरतशाह ने कराया था। राजा वीरसिंह देव के बाद यह किला उनके पुत्र नरहरदास को प्राप्त हुआ। इस क्षेत्र में पिता के बाद बुन्देलखण्ड केसरी महाराज छात्रसाल भी सक्रिय रहे।