
नगर निगम ने इस बार सफाई में नवाचार नहीं किया, जो पहले सफाई के लिए किया जा रहा है, उस पर ही ध्यान दिया। बीते चार माह से सफाई व्यवस्था का सिस्टम फिर सुधारा। इसका असर यह है कि शहर में सफाई फिर नजर आने लगी है।
सफाई में आठवीं बार सरताज बनने के लिए इंदौर ने एक बार फिर कमर कस ली है। इस पर सौंदर्यीकरण पर ज्यादा फोकस है। इसके लिए बाउंड्रवाॅलों पर थ्रीडी पेंटिंग, डिवाइडरों की रंगाई सहित अन्य काम हो रहे है। शहर की सड़कों का पेचवर्क भी नगर निगम ने बारिश खत्म होने के बाद देरी से शुरू किया, ताकि सड़कें भी स्वच्छता सर्वे के दौरान साफ और नई दिखे।
दिसंबर के पहले सप्ताह तक स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए सर्वे टीम इंदौर आ सकती है। इस बार इंदौर को सूरत से कड़ी टक्कर मिल रही है,क्योकि पब्लिक फीडबैक और कचरे से कमाई के मामले में सूरत ने बेहतर काम किया है। इस साल सूरत ने सबसे ज्यादा फोकस डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में किया है,क्योकि पिछली बार इसमे हमें ज्यादा प्वांइट मिले थे। इस कारण इंदौर के साथ सूरत को संयुक्त रुप से पुरस्कार मिला था।
पुराना सिस्टम फिर सुधारा
नगर निगम ने इस बार सफाई में नवाचार नहीं किया, जो पहले सफाई के लिए किया जा रहा है, उस पर ही ध्यान दिया। बीते चार माह से सफाई व्यवस्था का सिस्टम फिर सुधारा। इसका असर यह है कि शहर में सफाई फिर नजर आने लगी है।
स्पाॅट फाइन में सख्ती के कारण लोग खाली प्लाॅट और खुले में कचरा डालने में बच रहे है। शहर में बने पब्लिक टाॅयलेट की मरम्मत की गई। रात्रिकालीन सफाई फिर से शुरू हो गई है।
दीपावली के दूसरे दिन शहर तड़के चार बजे ही शहरवासियों को साफ नजर आया। स्वच्छता के प्रति शहर को जागरुक करने के लिए भी अलग-अलग अभियान चलाए गए। सफाई के लिए नए संसाधन उपलब्ध कराए गए। मेयर पुष्य मित्र भार्गव ने कहा कि आठवीं बार इंदौर फिर स्वच्छता रैंकिंग में पहले स्थान पर होगा। शहरवासियों की सफाई के प्रति जागरुकता और जनभागीदारी सबसे बड़ी ताकत है।
यहां कमजोर नजर आ रहा इंदौर
-बेकलेन सफाई में इस बार इंदौर कमजोर साबित हो रहा है। लोग भी बेकलेन में कचरा डालने लगे है।
– कचरे से खाद बनाने में जागरुकता की कमी आई है। नदियों की सफाई भी कमजोर साबित हो रही है।
– चार सालोंं में सफाई बेहतर होने के कारण वायु प्रदूषण कम था। इस साल प्रदूषण ज्यादा है। धूल भी ज्यादा है।