
सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, दानवीर डॉ. हरीसिंह गौर को भारत रत्न दिलाने की मांग के समर्थन में दैनिक भास्कर द्वारा 25 नवंबर सोमवार को साढ़े 6 किलोमीटर लंबी माला डॉ. गौर को अर्पित की जाएगी।
कार्यक्रम सुबह 7.30 बजे शुरू होगा। तीनबत्ती स्थित गौर मूर्ति से लेकर विवि स्थित गौर प्रतिमा तक एक ही माला एक ही समय में डॉ. गौर को अर्पित की जाएगी। इसके लिए सागरवासियों का व्यापक समर्थन मिल रहा है।
हर वर्ग के लोग इसमें सहभागिता करने अपना समर्थन दे रहे हैं। इनमें स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के साथ ही विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, गैर राजनीतिक, व्यापारिक, प्रशासनिक, कर्मचारी, अधिकारियों के संगठन व पेंशनर्स, महिला क्लब, युवा संगठन शामिल हैं।
अब तक ऐसे 220 संगठन समर्थन दे चुके हैं। यह संख्या और भी बढ़ सकती है। फिल्म अभिनेता गोविंद नामदेव, आशुतोष राणा और मुकेश तिवारी ने भी अपील जारी कर सभी से इस अभियान में शामिल होने को कहा है।
हर व्यक्ति हो सकता है शामिल, तय समय पर पहुंचना होगा
अभियान में हर व्यक्ति शामिल हो सकता है। इसके लिए पंजीयन होना अनिवार्य नहीं है। संबंधित को सिर्फ सुबह 7.30 बजे तय रूट पर पहुंचना होगा। आयोजन स्थल पर चिकित्सकीय सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। पुलिस के जवान भी सुरक्षा व्यवस्था, यातायात सुचारु बनाए रखने में सहयोग करेंगे। पार्किंग स्थल भी बनेंगे। पानी की बोतल साथ लाएं।
स्कूल-कॉलेजों के स्थान भी हुए तय
इस आयोजन को लेकर हर वर्ग के लोग उत्साहित हैं। स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले सकें, इसके लिए स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों के स्थान भी तय हो गए हैं। उनके विद्यार्थी शिक्षकों के साथ तय स्थानों पर पहुंचेंगे। डीईओ अरविंद जैन व नोडल अधिकारी डॉ. महेंद्र प्रताप तिवारी ने व्यवस्थाओं को लेकर बैठक भी ली। किसी भी तरह की जानकारी के लिए स्कूल सीधे नोडल अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
44 साल से उठ रही भारत रत्न की मांग, दिल्ली में भी हुआ धरना
डॉ. गौर को भारत रत्न देने की मांग 1970 से उठ रही है। इसको लेकर हस्ताक्षर अभियान, ज्ञापन, धरना प्रदर्शन, रेल रोको जैसे आंदोलन भी हो चुके हैं। विश्वविद्यालय एक प्रस्ताव 2006 में तो दूसरा 2024 में भेज चुका है। मुख्यमंत्री भी इस मांग का समर्थन कर चुके हैं।
दिल्ली में जंतर-मंतर पर भी धरना दिया जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने सागर में भी यह मांग उठ चुकी है। संसद में भी यह मांग उठाई जा चुकी है। अब पहली बार साढ़े 6 किलोमीटर लंबी माला के साथ हजारों लोग एकजुट होकर यह मांग दोहराएंगे।