
भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में मंगलवार सुबह किसान गीली और अंकुरित धान के बोरों को लेकर शहपुरा, पाटन और मझौली तहसील कार्यालय पहुंचे। यहां बैठकर धरना भी दिया। इसके बाद किसानों ने तहसीलदार और एसडीएम से मुलाकात की और उन्हें एक मांग पत्र सौंपा।
‘जिला प्रशासन के आंकड़े पर भरोसा नहीं’
भारतीय किसान संघ के जिला सहमंत्री सुनील पटेल ने बताया कि, जिला प्रशासन द्वारा बारिश के कारण केवल 4.5 प्रतिशत धान के भीगने का आंकड़ा जारी किया गया है, लेकिन किसानों को इस आंकड़े पर विश्वास नहीं है। इस वजह से, किसान पानी से भीगी धान के बोरों को अपनी पीठ पर लादकर अधिकारियों को दिखाने के लिए तहसील मुख्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने तहसीलदार और एसडीएम को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा और प्रशासन से बारिश और ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों की क्षतिपूर्ति की मांग की।
किसान बोले- जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए
शहपुरा, पाटन और मंझोली तहसील मुख्यालय में बोरे में भीगी अंकुरित धान लेकर पहुंचे किसानों ने बताया कि, बारिश के कारण धान में अंकुरण हो गया है। अंकुरण के बाद यह धान किसी काम की नहीं रह जाती। ऐसे में प्रशासनिक लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
मटर, मसूर, चना और गेहूं की फसलों का सर्वे और मुआवजा की मांग
भारतीय किसान संघ के मनोज पटेल और राघवेंद्र सिंह ने कहा कि, सभी तहसीलों में मटर, चना, मसूर और गेहूं के साथ-साथ सब्जियों की फसलों को अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से भारी नुकसान हुआ है। जिसका तत्काल सर्वे कर किसानों को मुआवजा दिया जाए।
‘बिजली बिल और लोन की किश्तें न ली जाएं’
भारतीय किसान संघ ने मांग की है कि बारिश के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिससे वे आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। ऐसे में वे बिजली का बिल और लोन की किश्तें भरने में असमर्थ हो सकते हैं। उन्होंने प्रशासन से कहा है कि फिलहाल उनसे बिजली के बिल और लोन की किश्तें न ली जाएं।
