
दमोह में एक झोपड़ी में आग लग जाने से तीन बच्चियां जिंदा जल गईं। इनमें से दो की मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीं एक को नाजुक हालत में जबलपुर की अस्पताल में रेफर किया था। गुरुवार सुबह उसकी भी मौत हो गई। परिवार खेत पर बनी झोपड़ी में ही रहता था।
हादसा बुधवार शाम करीब 5.30 बजे हटा ब्लॉक के बरोद गांव में हुआ था। बच्चियों के पिता खेत पर पानी देने का काम करते थे, इसलिए उनका पूरा परिवार यहीं पर झोपड़ी बनाकर रह रहा था। बुधवार को घटना की जानकारी लगने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मृत बच्चियों के परिजनों को 4-4 लाख लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की थी।
इलाज के दौरान 5 महीने की बेटी की मौत
घटना के समय झोपड़ी में जाह्नवी ( उम्र 5 साल), कीर्ति ( उम्र 3 साल) और हीर (उम्र 5 माह) मौजूद थीं। आग में झुलसने से जाह्नवी और कीर्ति की मौके पर ही मौत हो गई थी। जिला अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद उसे जबलपुर रेफर कर दिया था। इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई।
मुख्यमंत्री ने हादसे पर जताया था दुख
सीएम डॉ. मोहन यादव ने हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने मृतक बच्चियों के परिजन को 4-4 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। साथ ही घायल बच्ची के इलाज के निर्देश और उसे नियमानुसार सहायता देने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने सोशल मीडिया X पर ये पोस्ट की थी।
पिता ने कहा- तीनों बेटियां झोपड़ी में थीं बच्चियों के पिता गोविंद आदिवासी ने बताया कि ‘मैं सागर जिले की बंडा तहसील के तारौली गांव का रहने वाला हूं। इस साल मैंने हटा ब्लॉक के बरोदा गांव में खेती की सिंचाई का ठेका लिया है। अपने परिवार के साथ यहीं रह रहा हूं। शाम के समय खेत में प्याज की छिलाई कर रहा था। झोपड़ी में मेरी पत्नी और तीनों बेटियां मौजूद थीं।
कुछ देर बाद मेरी पत्नी मेरे पास आ गई और मुझसे बात करने लगी। जब हमने पलट कर पीछे देखा तो झोपड़ी में आग लगी हुई थी। मैं अपनी पत्नी के साथ और आसपास के कई लोग आग बुझाने के लिए झोपड़ी की तरफ भागे, लेकिन झोपड़ी की आग बहुत तेज हो गई, जिसमें मेरी तीनों बेटियां आग में झुलस गईं। जैसे तैसे झोपड़ी की आग बुझाने के बाद बच्चों को बाहर निकाला और उन्हें अस्पताल लेकर आ गए।
पिता का कहना है कि आग लगने का कारण सामने नहीं आया है। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। मोबाइल भी आग में जल गया है।
