
दमोह में एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के निर्देश पर बुधवार रात क्रिश्चियन कॉलोनी में की गई छापेमारी में 12 नाबालिग बच्चों को एक हॉस्टल से छुड़ाया गया। बाल कल्याण समिति सागर ने बच्चों की काउंसलिंग की थी। इसके बाद शुक्रवार को आरोपी शुक्ला और एक महिला के खिलाफ दमोह कोतवाली में मामला दर्ज किया गया है।
मौके से बाइबल और धार्मिक साहित्य जब्त
मुख्य आरोपी पी.के. शुक्ला मिशनरीज के लिए काम करते हुए इन बच्चों को ईसाई धर्म की शिक्षा दे रहे थे। पुलिस ने मौके से बाइबल और धार्मिक साहित्य बरामद किया था। सभी बच्चे हिंदू परिवारों से हैं, जिनमें से तीन बच्चों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।
आरोपी का दावा है कि वे इन बच्चों को कोरोना काल में जबलपुर से लाए थे। बच्चों का दाखिला मिशनरी संचालित नवजागृति स्कूल में कराया गया था, जहां एडमिशन फॉर्म में माता-पिता की जगह पी.के. शुक्ला और उनके बेटे का नाम दर्ज था।
बाल कल्याण समिति सागर की अनुशंसा पर पुलिस ने पी.के. शुक्ला और अनामिका क्रूजर के खिलाफ धारा 143, 143, 43/5, 42, 75 किशोर न्याय अधिनियम, 3,2,5 एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।
बच्चों की काउंसलिंग में सामने आया कि उन्हें अवैध तरीके से रखकर ईसाई धर्म का पाठ पढ़ाया जा रहा था। राज्य बाल आयोग ने इस गंभीर मामले की विस्तृत जांच के निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं।