
जिले के स्वास्थ्य विभाग में हुए भारी भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है। बिरसिंहपुर के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) डॉ. विमल कुमार जैन पर ममता रथ योजना के तहत लाखों रुपये के गबन का आरोप लगा है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी इस पर कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार बीएमओ डॉ. जैन ने 1 फरवरी 2015 को अपने बेटे आदर्श जैन की फर्म के नाम 66 हजार 825 रुपये और 31 मार्च 2015 को अलंकार इलेक्ट्रॉनिक्स के नाम 29 हजार 799 रुपये का चैक जारी किया था। आरोप है कि जिस समय यह भुगतान किया गया, उस समय संबंधित फर्मों के पास जीएसटी नंबर तक मौजूद नहीं था। साथ ही भुगतान किए गए बिलों पर दर्ज जीएसटी नंबर भी किसी अन्य फर्म के पाए गए हैं।
इस मामले की शिकायत बसंत तिवारी निवासी पाली द्वारा की गई थी, जिसके बाद तत्कालीन एडीजीपी डीसी सागर ने 12 सितंबर 2023 को पुलिस अधीक्षक उमरिया को जांच के निर्देश दिए थे। पुलिस की प्रारंभिक जांच में इस गबन की पुष्टि भी हुई है, जिसके चलते एसडीओपी ने थाना प्रभारी को जांच के आदेश दिए हैं।
हालांकि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. एस.बी. चौधरी ने अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है। आरोप है कि वे अपने सहयोगी बीएमओ डॉ. वी.के. जैन को बचाने में लगे हैं और अभी तक कोई आंतरिक जांच भी शुरू नहीं की गई है।
पाली एसडीओपी शिवचरण बोहित ने बताया कि पुलिस को इस गबन की शिकायत प्राप्त हुई है, लेकिन आवेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की फोटोकॉपी स्पष्ट नहीं है। इसलिए थाना प्रभारी को निर्देशित किया गया है कि वे मूल दस्तावेज प्राप्त कर जांच करें। पाली थाना प्रभारी मदनलाल मरावी ने कहा कि फोटोकॉपी के आधार पर एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। जब तक मूल दस्तावेज उपलब्ध नहीं होते, तब तक जांच आगे नहीं बढ़ाई जा सकती। विभाग को इस संबंध में पत्र भेजा गया है, ताकि आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए जा सकें।
घोटाले को लेकर स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। लंबे समय से जिले के स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की खबरें आती रही हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। क्या इस बार भी यह मामला दबा दिया जाएगा, या घोटालेबाजों पर कोई कड़ी कार्रवाई होगी? यह देखने वाली बात होगी।