
बीना रेलवे ने पुरानी रेल पटरियों से निकाले गए स्लीपर का नया उपयोग शुरू किया है। रेलवे अब इन स्लीपर का उपयोग कॉलोनी की सड़कों को मजबूत बनाने में कर रहा है। पहले इन स्लीपर को बेकार समझकर एक जगह जमा कर दिया जाता था।
वर्तमान में पूर्वी रेलवे कॉलोनी में रेलवे अस्पताल से सोलर प्लांट तक स्लीपर से सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इस तकनीक में पहले स्लीपर से सड़क का बेस तैयार किया जाता है, फिर उस पर जीरा डालकर सड़क को समतल बनाया जाता है। इस विधि से बनने वाली सड़क की चौड़ाई लगभग 5 मीटर होगी।
इस नई तकनीक के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा लाभ यह है कि बारिश के मौसम में भी सड़क के उखड़ने का खतरा नहीं रहता। एक-दो साल बाद जब स्लीपर पूरी तरह से समतल हो जाते हैं, तब इन पर डामर या सीसी की परत भी डाली जा सकती है। रेलवे ने इस प्रयोग की सफलता को देखते हुए पहले पश्चिमी रेलवे कॉलोनी की मुख्य सड़क का निर्माण इसी तकनीक से किया था।
यह पहल रेल लाइन के नवीनीकरण के दौरान निकलने वाले पुराने स्लीपर के बेहतर उपयोग का एक उदाहरण है। इस तरह की सड़कें न केवल अधिक टिकाऊ होती हैं, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी हैं क्योंकि इससे पुराने स्लीपर का उपयोग हो जाता है।