
रीवा जिला प्रशासन ने बेसहारा गोवंश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनके गोबर से उत्पाद तैयार करने की पहल शुरू की है। यह नवाचार मऊगंज मॉडल पर आधारित होगा, जहां गोबर से जलाऊ स्टिक और अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं।
कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि यह इनोवेटिव कदम गोशालाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद करेगा। इससे सड़कों पर आवारा मवेशियों की संख्या भी कम होगी।
मऊगंज में इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने वाले राजू सिंह ने बताया कि बूढ़े, बीमार और दिव्यांग गोवंश भी अब उपयोगी साबित होंगे। गोबर में कोयले का पाउडर मिलाकर विशेष मशीन से जलाऊ स्टिक बनाई जाती है, जो सामान्य लकड़ी से चार गुना अधिक ज्वलनशील होती है।
इस मशीन से प्रतिदिन 6 टन लकड़ी का उत्पादन हो रहा है, जो बाजार में आसानी से बिकती है। अब रीवा कलेक्टर भी इस मॉडल को अपनाने जा रही हैं, जिससे गोवंश के संरक्षण और गोशालाओं की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।